Ram Mandir Pujari Rules: अयोध्या के राम मंदिर में 10 नए पुजारियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। पुजारियों को ड्यूटी पर लगाने से पहले एक रिफ्रेशर कोर्स कराया जा रहा है। नए नियमों में रोटेशन सिस्टम, ड्रेस कोड, और मोबाइल फोन पर प्रतिबंध शामिल हैं, जो पूजा-अर्चना में अनुशासन सुनिश्चित करेंगे।
Ram Mandir Pujari Rules: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राम मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए दस प्रशिक्षित पुजारियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली है। हालांकि, पुजारियों को अभी ड्यूटी पर नहीं भेजा गया है, क्योंकि उन्हें एक रिफ्रेशर कोर्स दिया जा रहा है, जिससे वे पुराने अर्चकों के साथ पूजा कार्य में शामिल होंगे।
नई नियमावली और पुजारियों की ड्यूटी की शर्तें
राम मंदिर में पुजारियों के लिए बनाई गई नई नियमावली के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। पुजारियों के ड्यूटी नियमों, ड्रेस कोड, और मोबाइल फोन के उपयोग को लेकर कुछ कड़े निर्देश जारी किए गए हैं।
पुजारियों को दी गई विशेष शर्तें
राम मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए नियुक्त किए गए इन पुजारियों को नियुक्ति पत्र के बजाय एक समझौता पत्र दिया गया है। पुजारियों का कार्य दो साल के परिवीक्षा काल के तहत होगा, जिसका मतलब है कि उनके कार्यों का मूल्यांकन कुछ समय बाद किया जाएगा।
पुजारियों को चार महीने पहले प्रशिक्षण दिया गया था, जिसके बाद उन्हें ड्यूटी पर भेजने से पहले तीन-चार दिनों का रिफ्रेशर कोर्स कराया जा रहा है। यह कोर्स यह सुनिश्चित करेगा कि पुजारियों को जो कुछ भी सिखाया गया है, वह उनका स्मरण है। इसके बाद पुजारियों का उपनयन संस्कार होगा और फिर उन्हें राम मंदिर में ड्यूटी पर भेजा जाएगा।
राम मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति का महत्व
राम मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति प्रक्रिया का धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है। यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के रूप में उभर कर सामने आया है, और इसलिए पुजारियों की नियुक्ति और उनके कार्यों को लेकर विशेष ध्यान रखा जा रहा है। पुजारियों का कार्य न केवल मंदिर की पूजा-अर्चना तक सीमित होगा, बल्कि वे समाज के एक अभिन्न अंग के रूप में भी कार्य करेंगे, जो धार्मिक कार्यों के साथ-साथ समाज में धार्मिक समरसता बनाए रखने में मदद करेंगे।
राम मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति से जुड़ी इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता, अनुशासन, और आधुनिक दृष्टिकोण को महत्व दिया गया है। नई नियमावली से न केवल मंदिर के कार्यों में सुधार होगा, बल्कि पुजारियों को अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से पालन करने में भी मदद मिलेगी। यह मंदिर के प्रतिष्ठा और अनुशासन के अनुरूप एक कदम है, जो धार्मिक कार्यों की पवित्रता बनाए रखने में मदद करेगा।