आजमगढ़

चुनावी संग्राम में निरहुआ और धर्मेंद्र यादव एक बार फिर आमने-सामने, सपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती

Lok Sabha Elections 2024: आजमगढ़ में भाजपा ने एक बार फिर निरहुआ पर भरोसा जताया तो वहीं सपा से धर्मेंद्र यादव चुनावी मैदान है।

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May 15, 2024

Lok Sabha Elections 2024: पूर्वांचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बाद सबसे अधिक चर्चा आजमगढ़ की है। इस सीट पर देशभर की निगाहें हैं। सपा के सामने जहां गढ़ बचाने की चुनौती है तो वहीं भाजपा ने उपचुनाव के बाद फिर से कमल खिलाने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। नजारा 2022 के उपचुनाव जैसा ही है, लेकिन समीकरण बदले हुए हैं। यह सीट सपा और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।

भाजपा ने उपचुनाव में मिली जीत के बाद मौजूदा सांसद और भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेशलाल यादव निरहुआ पर फिर भरोसा जताया है। वहीं सपा ने क्षेत्र से मुलायम परिवार के रिश्तों की मजबूती का संदेश देते हुए उपचुनाव में हार के बावजूद धर्मेंद्र यादव को दूसरी बार मैदान में उतारा है। यही वजह है कि चुनाव से ठीक पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2022 के उपचुनाव में सपा की हार का कारण माने जाने वाले बसपा से प्रत्याशी रहे शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपने पाले में कर लिया। उन्हें एमएलसी बनाया गया। माना जा रहा है कि मुस्लिम मतों का बिखराव रोकने को अखिलेश ने यह दांव खेला। दूसरी ओर बसपा ने इस सीट पर मशहूद अहमद को उम्मीवार बनाया है। बसपा ने सीट पर दो बार प्रत्याशी में बदलाव किया।

भाजपा विकास कार्यों को लेकर मैदान में

चुनाव में भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के साथ अपने विकास कार्यों को लेकर मैदान है। पार्टी के लिए इस सीट की महत्ता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आचार संहिता लगने से कुछ दिन पहले खुद प्रधानमंत्री मोदी ने यहां बड़ी जनसभा की थी।

तीन पूर्व मुख्यमंत्री कर चुके प्रतिनिधित्व

क्षेत्र से तीन पूर्व मुख्यमंत्री भी सांसद रह चुके हैं। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में यहां से रामनरेश यादव जनता पार्टी से सांसद चुने गए। हालांकि साल भर बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया और मुख्यमंत्री बन गए। सपा संस्थापक और संरक्षक रहे पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी 2014 में यहां सांसद चुने गए थे। फिर 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सांसद बने।

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