बहराइच से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां आधी रात घर में घुसे भेड़िए ने मां के पास सो रहे चार माह के मासूम को उठा ले गया। घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है और प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
Bahraich Wolf Attack: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके में दहशत का माहौल बना दिया है। कैसरगंज थाना क्षेत्र के गोड़हिया नंबर-3 के मजरे मल्लाहनपुरवा गांव में आधी रात को एक भेड़िया घर में घुस आया और मां के पास सो रहे चार माह के मासूम बच्चे को उठाकर फरार हो गया। इस घटना के बाद से गांव में डर का माहौल है और हर तरफ खौफ और बेचैनी का माहौल बना हुआ है।
घटना शनिवार देर रात करीब 12:30 बजे की बताई जा रही है। गांव निवासी संतोष का चार महीने का बेटा सुभाष अपनी मां किरण के साथ कमरे में सो रहा था। परिवार के अन्य सदस्य दूसरे कमरे में थे। इसी दौरान अचानक एक भेड़िया घर में दाखिल हुआ और सीधे उस बच्चे तक पहुंच गया, जो मां के आंचल में सो रहा था। भेड़िया बच्चे को अपने जबड़े में दबाकर कमरे से बाहर निकल गया और अंधेरे का फायदा उठाकर खेतों और जंगल की ओर भाग गया।
थोड़ी ही देर में बच्चे की हलचल और असहजता से मां किरण की नींद खुली। जब उसने अपने पास बच्चे को नहीं पाया तो वह घबरा गई और मदद के लिए चीखने लगी। उसकी आवाज सुनकर घर के अन्य सदस्य और पड़ोसी मौके पर पहुंचे। देखते ही देखते पूरे गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीण लाठी, टॉर्च और मोबाइल की रोशनी लेकर जंगल और खेतों की ओर दौड़ पड़े, ताकि मासूम की कोई सुराग मिल सके। कई घंटों तक चले इस तलाशी अभियान के बावजूद बच्चे का कोई पता नहीं चल सका। सुबह होने तक भी न तो बच्चे के कोई निशान मिले, न ही भेड़िए की कोई स्पष्ट जानकारी मिली। इससे पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है और हर कोई स्तब्ध है।
परिजनों के अनुसार, संतोष और किरण की शादी को करीब दो साल हुए थे और सुभाष उनका इकलौता बेटा था। इतने सालों के इंतजार के बाद परिवार ने इस बच्चे के रूप में खुशियां पाई थीं। लेकिन एक पल में सबकुछ उजड़ गया। मां किरण का रो-रोकर बुरा हाल है और वह बार-बार बेहोश हो जा रही है। परिवार के अन्य सदस्य भी गहरे सदमे में हैं।
पहले से भेड़ियों का दहशत
ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में पिछले कई महीनों से भेड़ियों का आतंक बढ़ता जा रहा है। रात के समय अक्सर गांव के आसपास भेड़िए देखे जा रहे थे, लेकिन इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लोगों का कहना है कि कई बार इसकी शिकायत वन विभाग और स्थानीय प्रशासन से की गई, लेकिन केवल खानापूर्ति कर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने कदम उठाए होते, तो शायद इस तरह की दर्दनाक घटना को रोका जा सकता था। अब लोगों में गुस्सा और डर दोनों का माहौल है।
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और वन विभाग को सूचना दी गई। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और इलाके में कांबिंग ऑपरेशन शुरू किया गया। खेतों, जंगल और आसपास के इलाकों में पगचिन्ह तलाशे जा रहे हैं। साथ ही गांव के आसपास पिंजरे लगाने और गश्त बढ़ाने की बात कही जा रही है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामला बेहद गंभीर है और प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। ड्रोन कैमरों की मदद से भी तलाशी की योजना बनाई जा रही है ताकि भेड़िए की लोकेशन ट्रेस की जा सके।
घटना के बाद ग्रामवासियों ने प्रशासन से कई मांगें रखी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि रात के समय गांव में वन कर्मियों की गश्त बढ़ाई जाए। जंगल से सटे गांवों में ऊंची लाइटें लगाई जाएंगी और भेड़ियों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले दिनों में ऐसी और घटनाएं हो सकती हैं। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों को लेकर ग्रामीण बेहद चिंतित हैं।
इस घटना के बाद पूरे कैसरगंज क्षेत्र में भय का वातावरण बन गया है। लोग रात को अपने घरों के दरवाजे ठीक से बंद कर सोने लगे हैं। कई परिवार अपने छोटे बच्चों को अलग कमरे में सुलाने से डर रहे हैं। खेतों में काम करने जाने वाले किसान भी अब अकेले जाने से कतरा रहे हैं।
इस तरह की घटनाओं ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जंगलों के सिकुड़ने और मानवीय हस्तक्षेप के कारण जंगली जानवर अब रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं। जानकारों के अनुसार भोजन की तलाश में भेड़िए अक्सर गांवों का रुख कर रहे हैं। लेकिन जब यह जानवर इंसानों के लिए खतरा बन जाएं, तो जरूरी हो जाता है कि प्रशासन तुरंत कठोर कदम उठाए।