बालोद जिला मुख्यालय में नेशनल हाइवे का हाल बेहाल है। यहां डिवाइडर का प्रावधान है, लेकिन अभी तक बना नहीं है। डिवाइडर निर्माण की मांग के बाद भी शासन ने कोई पहल नहीं की है।
National Highway बालोद जिला मुख्यालय में नेशनल हाइवे का हाल बेहाल है। यहां डिवाइडर का प्रावधान है, लेकिन अभी तक बना नहीं है। डिवाइडर निर्माण की मांग के बाद भी शासन ने कोई पहल नहीं की है। दूसरी ओर दुर्घटना रोकने नेशनल हाइवे में स्टापर लगाकर काम चला रहे हैं।
नेशनल हाइवे पर कुछ जगह पर अंधेरा रहता है। सबसे ज्यादा खतरा खरखरा केनाल के पास है। यहां हमेशा चारों ओर से वाहनों की आवाजाही रहती है, लेकिन नेशनल हाइवे व विद्युत विभाग के बीच सामंजस्य नहीं होने के कारण स्ट्रीट लाइट नहीं लगा पाए। अनदेखी से कभी भी बढ़ी दुर्घटना घट सकती है क्योंकि दोनों विभाग इसे हलके में ले रहे हैं। नेशनल हाइवे में स्ट्रीट लाइट व डिवाइडर की योजना कागजों तक सीमित है।
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नेशनल हाइवे में डिवाइडर बनाने की योजना जरूर है लेकिन अभी शासन से स्वीकृति नहीं मिली है। विभाग लगातार पत्राचार कर रहा है। अभी तक शासन से डिवाइडर निर्माण को लेकर कोई पहल नहीं की गई।
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नेशनल हाइवे अधिक चौड़ा होने से वाहन चालक तेज गति से वाहन चलाते है। वाहन को नियम कर तहत भी नहीं चलाते और दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। कुछ माह की बात करें तो इस मार्ग में 20 से अधिक सड़क दुर्घटना हो चुकी है। कुछ वाहन चालक की मौत भी हो चुकी है। डिवाइडर बनाने से राहत मिलती।
नेशनल हाइवे में जिला मुख्यालय के गंजपारा तांदुला पुल से लेकर जिला जेल तक लगभग तीन किमी मार्ग में बीचों बीच डिवाइडर व स्ट्रीट लाइट लगाने से वाहन चालक अपनी-अपनी दिशा से आना जाना करेंगे। वाहन चालक भी इधर-उधर नहीं चलेंगे। दुर्घटना की संभावना भी कम रहेगी। स्ट्रीट लाइट से सड़क में उजाला रहेगा।
यह मार्ग छत्तीसगढ़ को महाराष्ट्र से जोड़ता है। इस मार्ग में आम जानता के साथ जिले के कलेक्टर, एसपी व अन्य नेताओं जनप्रतिनिधियों, सांसद का भी आना जाना रहता है, लेकिन शहर के इस मुद्दे को साकार करने में विफल रहे हैं।
नेशनल हाइवे विभाग के एसडीओ टीकम ठाकुर ने कहा कि स्ट्रीट लाइट लगाने शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा है। शासन से स्वीकृति के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।