CG Ramlila: प्राचीन और ऐतिहासिक परंपराओं में से एक है, जो ब्रिटिश जमाने से ही हर साल शारदीय नवरात्रि पर होती आई है। 104 बरस के इतिहास को दोहराते हुए इस बार परंपरा की 105वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी..
CG Dussehra: प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध भाटापारा की सांस्कृतिक विरासत भी अतुलनीय है। गुरुवार को नवरात्रि से लगातार 11 दिन की रामलीला शहर की इस सांस्कृतिक पहचान को और मजबूती दे रही है। यह रामलीला छत्तीसगढ़ की सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक परंपराओं में से एक है, जो ब्रिटिश जमाने से ही हर साल शारदीय नवरात्रि पर होती आई है। 104 बरस के इतिहास को दोहराते हुए इस बार परंपरा की 105वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इसके लिए जोर-शोर से तैयारियां की जा रहीं हैं।
Bhatapara Dussehra: भाटापारा के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संजोते हैं, बल्कि इसे अगली पीढ़ियों तक भी पहुंचाते हैं। यही वजह है कि शहर के हर वार्ड और गली में रामलीला के कलाकारों की भरमार है। कई परिवारों में पीढ़ियों से लोग रामलीला में काम करते आए हैं। इस आयोजन को भव्य और सफल बनाने में कई नाम शामिल हैं, जिनमें कन्हैयालाल टोडर, महंत भगवानदास, शिवप्रसाद अग्रवाल, महादेव प्रसाद त्रिवेदी और छोटेलाल गुप्ता आदि प्रमुख हैं।
स्थानीय संस्कृति और कला को समर्पित इस अनूठे आयोजन में हर साल विभिन्न वर्गों के लोग अपने अभिनय का जौहर दिखाते हैं, जिसमें फिल्म अभिनेता अनुज शर्मा, भाजपा उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा, पूर्व जिपं सभापति अश्विनी शर्मा आदि शामिल हैं।
CG Ramlila: आदर्श रामलीला नाटक मंडली ने सन् 1920 में इस परंपरा की नींव डाली थी। तभी से यह आयोजन शहर के शंकर वार्ड स्थित रामलीला मैदान में होता आया है। इस बार भी यहां 11 दिनों तक दर्शकों को भगवान राम के जीवन की विभिन्न लीलाओं का प्रदर्शन देखने मिलेगा। 3 से 13 अक्टूबर तक चलने वाली इस रामलीला में न केवल धार्मिकता, बल्कि समर्पण और कला का अद्भुत संगम भी झलकेगा। इस बार विभिन्न महत्वपूर्ण लीलाओं के मंचन की तैयारी है, जिनमें धनुषयज्ञ, सीताहरण, जटायुमरण, शबरी प्रसंग, रामसुग्रीव मित्रता, और बालीवध आदि शामिल हैं।
Dussehra: इस रामलीला में साहित्य एक अद्भुत मिश्रण भी देखने मिलता है। गोस्वामी तुलसीदास की रचनाएं इसका मुख्य आधार हैं। इनके अलावा राधेश्याम रामायण, आर्य संगीत रामायण, और नथाराम गोंड, संगीत रामायण जैसे अनेक ग्रंथों से भी संवादों का चयन किया गया है। विशेषज्ञों और जानकारों द्वारा साहित्य मंथन करने के बाद इन संवादों को शामिल किया गया है, जिससे रामलीला का मंचन और भी प्रभावशाली हो जाता है।