बैंगलोर

प्रत्येक रुपए पर समाज को ढाई रुपए का रिटर्न : डॉ. सोमनाथ

उन्होंने कहा, इसरो अंतरिक्ष अन्वेषण से कहीं ज्यादा काम करता है। चांद पर जाना एक महंगा काम है और हम सिर्फ सरकार पर ही निर्भर नहीं रह सकते। हमें व्यावसायिक अवसर पैदा करने होंगे।

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Nov 13, 2024

- व्यावसायिक अवसर पैदा करने होंगे : प्रतिस्पर्धा नहीं देश सेवा इसरो का लक्ष्य

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन Indian Space Research Organisation (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ Dr. S. Somnath ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी में निवेश किए गए धन से समाज को लाभ हुआ है। इसरो द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक रुपए पर समाज को ढाई रुपए का रिटर्न मिला है। इसरो के अध्ययन में यह बात सामने आई है।

डॉ. सोमनाथ मंगलवार को समाज कल्याण विभाग व विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से आयोजित कर्नाटक आवासीय शैक्षिक संस्थान सोसाइटी (केआरइआइएस) के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब दे रहे थे।उन्होंने कहा कि इसरो का लक्ष्य अंतरिक्ष में जाने वाले देशों के बीच वर्चस्व के लिए प्रतिस्पर्धा करने के बजाय देश की सेवा करना है। ऐसा करने के लिए, इसरो ISRO को वह करने की स्वतंत्रता की आवश्यकता थी, जो वह करना चाहता था। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में व्यावसायिक अवसरों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर वह स्वतंत्रता हासिल की जा सकती है।

उन्होंने कहा, इसरो अंतरिक्ष अन्वेषण से कहीं ज्यादा काम करता है। चांद पर जाना एक महंगा काम है और हम सिर्फ सरकार पर ही निर्भर नहीं रह सकते। हमें व्यावसायिक अवसर पैदा करने होंगे।

मछुआरों का उदाहरण

एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने इसरो की एक परियोजना का उदाहरण दिया, जिससे लोगों को सीधे लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा, हम मछुआरों को जो सलाह देते हैं, वह इसका एक अच्छा उदाहरण है। हमारी सलाह की मदद से वे जानते हैं कि सबसे अच्छी मछली पकडऩे के लिए उन्हें कहां जाना चाहिए। हम समुद्र का पता लगाने के लिए ओशनसैट का उपयोग करते हैं और विभिन्न मापदंडों का अध्ययन करने के बाद सलाह जारी करते हैं। इस सेवा का उपयोग करके, मछुआरों को न केवल मछलियों की अच्छी उपज मिलती है बल्कि वे नावों के लिए आवश्यक डीजल की भी काफी बचत करते हैं।

विफलता ने सिखाया दृढ़ता का महत्व

डॉ. सोमनाथ ने 1990 के दशक में अपने पहले अंतरिक्ष प्रोजेक्ट, पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के प्रक्षेपण के बारे में बात की और कहा, ऊंचाई नियंत्रण समस्या के कारण शुरू में प्रक्षेपण विफल रहा था। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि हमने इसे सही करने और इसे फिर से सफलतापूर्वक लॉन्च करने के लिए अगले 10 महीनों में बहुत मेहनत की। इस विफलता से उन्होंने बहुत कुछ सीखा, खासकर दृढ़ता का महत्व। इस अनुभव ने उन्हें देरी के बावजूद भी अपना विश्वास बनाए रखने में मदद की। लॉन्च व्हीकल मार्क-3 या एलवीएम3 Launch Vehicle Mark-3 or LVM3 के लिए उन्होंने 2005 में रॉकेट के चित्र के साथ एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट दी थी और इसे हकीकत बनने में उन्हें लगभग 12 साल का इंतजार करना पड़ा।

दो लाख से ज्यादा छात्र और शिक्षक हुए शामिल

केआरइआइएस के दो लाख से ज्यादा छात्रों और शिक्षकों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जो लोग बेंगलूरु नहीं आ पाए, उन्होंने भी भाग लिया और ज़ूम पर डॉ. सोमनाथ से बातचीत की। इससे पहले, समाज कल्याण मंत्री एच. सी. महादेवप्पा ने हिमालयन स्पेस लैब के लाइव रॉकेट को लॉन्च करके कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने रेडियो बेस स्टेशनों का उद्घाटन भी किया।

Updated on:
13 Nov 2024 07:12 pm
Published on:
13 Nov 2024 07:11 pm
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