फिलहाल बेंगलूरु हुणसूर क्षेत्र से आने वाले सीमित स्टॉक पर निर्भर है, जबकि स्थानीय आवक धीरे-धीरे शुरू हो रही है। कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले दो हफ्तों में बाजार में पर्याप्त आवक बढ़ने लगेगी। हालांकि देरी के बावजूद इस बार ठंड और ओस की वजह से अवरेकाई का स्वाद और खुशबू सामान्य से बेहतर होने की संभावना जताई जा रही है।
शहर Bengaluru की सर्दियों की खास पहचान बनी अवरेकाई (हैप्पी बीन्स) Happy Beans इस बार बाजार में देरी से पहुंच रही है। अगस्त की भारी बारिश और अनियमित मानसून के कारण बोवाई गंभीर रूप से प्रभावित हुई, जिससे पूरी फसल चक्र बिगड़ गया है।
आमतौर पर नवंबर की शुरुआत तक बाजारों में पर्याप्त आवक हो जाती है, लेकिन किसानों और व्यापारियों का कहना है कि इस वर्ष अभी तक आपूर्ति स्थिर नहीं हुई है। कीमतें भी सामान्य से कहीं अधिक हैं, जहां हर साल दिसंबर की शुरुआत में अवरेकाई 40-50 रुपए प्रति किलो मिलती है, वहीं इस बार इसकी कीमत 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। हिटकिडा अवरेबेल्ले तो 400 रुपए प्रति किलो तक बिक रही है।
फिलहाल बेंगलूरु हुणसूर क्षेत्र से आने वाले सीमित स्टॉक पर निर्भर है, जबकि स्थानीय आवक धीरे-धीरे शुरू हो रही है। कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले दो हफ्तों में बाजार में पर्याप्त आवक बढ़ने लगेगी। हालांकि देरी के बावजूद इस बार ठंड और ओस की वजह से अवरेकाई का स्वाद और खुशबू सामान्य से बेहतर होने की संभावना जताई जा रही है।
बेंगलूरु ग्रामीण, चिकबल्लापुर और कोलार जिलों के किसानों ने बताया कि उत्तर-पूर्व मानसून की अनियमित बारिश और अगस्त में आई बाढ़ जैसे हालात ने बोवाई को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। अगस्त बोवाई का प्रमुख महीना होता है मगर लगातार बारिश से प्रभावित रहा, जिससे कई किसान खेतों में समय पर बीज नहीं डाल सके। लगातार नुकसान की वजह से कुछ किसानों ने इस बार अवरेकाई की खेती ही छोड़ दी है।