मंत्री ने कहा कि शिक्षित वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग और शहरी क्षेत्रों में सामान्य प्रसव की तुलना में सिजेरियन प्रसव अधिक देखने को मिल रहे हैं। इसका बड़ा कारण प्रसव दर्द का डर, सामाजिक मान्यताएं और मानसिक तैयारी की कमी है।
राज्य विधानमंडल Karnataka State Legislature के दस दिवसीय शीतकालीन अधिवेशन के पहले दिन सोमवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडूराव ने कहा कि केवल कुपोषण को ही सिजेरियन प्रसव Cesarean delivery का कारण कहना सही नहीं है। यह सिर्फ एक कारण है, लेकिन इसके पीछे कई और सामाजिक व चिकित्सा संबंधी कारण हैं।
वे विधान परिषद के सदस्य गोविंदराजू द्वारा सिजेरियन प्रसव में बढ़ोतरी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। मंत्री ने कहा कि शिक्षित वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग और शहरी क्षेत्रों में सामान्य प्रसव की तुलना में सिजेरियन प्रसव अधिक देखने को मिल रहे हैं। इसका बड़ा कारण प्रसव दर्द का डर, सामाजिक मान्यताएं और मानसिक तैयारी की कमी है। निजी अस्पतालों में सिजेरियन बढऩे का एक कारण अधिक बिलिंग और जोखिम से बचना भी बताया गया है।
सामान्य प्रसव के लिए चिकित्सकों को अधिक समय और ध्यान देना पड़ता है, जबकि कई बार चिकित्सा कारणों से भी सी-सेक्शन अनिवार्य हो जाता है और इसका फैसला सिर्फ चिकित्सक ही ले सकते हैं।उन्होंने बताया कि तुमकूरु में पहले ही एक पायलट प्रोजेक्ट किया गया है और उसकी रिपोर्ट सरकार के पास पहुंची है, जिसमें कुछ अस्पतालों में 75-80 फीसदी तक सिजेरियन प्रसव के मामले सामने आए हैं। सरकार इस पर गंभीरता से समीक्षा कर रही है।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि सिजेरियन या सामान्य प्रसव पूरी तरह व्यक्तिगत और चिकित्सा निर्णय है, और सरकार सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती। लेकिन, जहां जानबूझकर सिजेरियन किए जाने की बात साबित होगी, वहां कार्रवाई की जाएगी। गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों में चिकित्सकीय व सामाजिक जागरूकता बढ़ाना समय की जरूरत है।