कानून से संघर्षरत किशोरों की आयु जांच का हर मामला अनिवार्य रूप से मेडिकल बोर्ड को ही भेजा जाएगा। किसी भी सरकारी या निजी चिकित्सक को व्यक्तिगत रूप से आयु निर्धारण की जांच करने की अनुमति नहीं होगी।
स्वास्थ्य विभाग ने कर्नाटक उच्च न्यायालय Karnataka High Court के स्पष्ट निर्देशों के बाद राज्यभर में किशोरों की आयु निर्धारण प्रक्रिया Age determination process for adolescents को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि आयु निर्धारण की जांच केवल विधिवत गठित मेडिकल बोर्ड Medical Board द्वारा ही की जाएगी, किसी एकल चिकित्सक को इसकी अनुमति नहीं होगी।
विभाग की ओर से सोमवार को जारी परिपत्र के अनुसार, संबंधित जिला सर्जन मेडिकल बोर्ड की कार्यप्रणाली के लिए जिम्मेदार होंगे। उनकी प्रमुख जिम्मेदारियों में मेडिकल बोर्ड की बैठकों का समय पर समन्वय, बिना देरी के चिकित्सकीय परीक्षण सुनिश्चित करना, कार्यवाही का समुचित दस्तावेजीकरण करना और निर्धारित समय सीमा के भीतर अंतिम मेडिकल बोर्ड रिपोर्ट संबंधित प्राधिकरण को सौंपना शामिल है। निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कानून से संघर्षरत किशोरों की आयु जांच का हर मामला अनिवार्य रूप से मेडिकल बोर्ड को ही भेजा जाएगा। किसी भी सरकारी या निजी चिकित्सक को व्यक्तिगत रूप से आयु निर्धारण की जांच करने की अनुमति नहीं होगी।
इसके अलावा, सभी जिला सर्जनों को निर्देश दिया गया है कि वे इन आदेशों की जानकारी अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले सरकारी और निजी चिकित्सा संस्थानों एवं चिकित्सकों तक तत्काल पहुंचाएं। साथ ही, इन निर्देशों के प्रसार और क्रियान्वयन से संबंधित अनुपालन रिपोर्ट निर्धारित समय में स्वास्थ्य विभाग को सौंपनी होगी। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह परिपत्र उच्च न्यायालय के आदेशों के प्रभावी और पूर्ण क्रियान्वयन के लिए जारी किया गया है और सभी संबंधित प्राधिकरणों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, मेडिकल बोर्ड में फिजियोलॉजिस्ट, डेंटल विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट और फॉरेंसिक विशेषज्ञ Physiologists, dental specialists, radiologists, and forensic specialists का होना अनिवार्य है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की मौजूदा प्रशासनिक संरचना में जिला स्तर पर फिजियोलॉजिस्ट का नामित पद नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए निर्देश दिया गया है कि निकटतम सरकारी मेडिकल कॉलेज से फिजियोलॉजिस्ट को सह-नियुक्त (को-ऑप्ट) कर संबंधित मामले में मेडिकल बोर्ड का सदस्य बनाया जाए, जो आवश्यक चिकित्सकीय राय देगा।