महोत्सव के दौरान आयोजित पैनल चर्चा में हिंदी, कन्नड़, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन भाषाओं के साहित्यकारों और शिक्षाविदों ने साहित्य, भाषा और समाज के अंतर्संबंधों के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता Artificial intelligence और रचना प्रक्रिया पर अपने विचार रखे।
शहर के माउंट कार्मेल कॉलेज (स्वायत्त) ने दो दिवसीय साहित्यिक महोत्सव Literary festival का भव्य आयोजन किया। इस कार्यक्रम में साहित्य, भाषा, समाज और कला के विविध पक्षों पर गहन विमर्श हुआ।
मुख्य अतिथि व साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद मिश्र ने उद्घाटन समारोह में मोबाइल और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दौर में साहित्य की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य सृजन के लिए संवेदना और अनुभूति अनिवार्य है।
उन्होंने युवाओं से पुस्तकों Book को पढऩे की आदत विकसित करने का आह्वान किया। लेखिका सुशीला टाकभौरे ने अपने अनुभवों के आधार पर जाति, लिंगभेद और पुरुषसत्ता पर तीखा प्रहार करते हुए समानता और स्वतंत्रता की आवश्यकता पर बल दिया। आलोचक प्रो. हरीश अरोड़ा Prof. Harish Arora ने विद्यार्थियों से मोबाइल छोड़कर पुस्तकों को मित्र बनाने का आग्रह किया।
महोत्सव के दौरान आयोजित पैनल चर्चा में हिंदी, कन्नड़, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन भाषाओं के साहित्यकारों और शिक्षाविदों ने साहित्य, भाषा और समाज के अंतर्संबंधों के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता Artificial intelligence और रचना प्रक्रिया पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में कहानी लेखन, कहानी वाचन, कविता वाचन और वक्तृत्व जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें विजेताओं को नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कोयल बिस्वास Dr. Koyel Biswas ने इस महोत्सव को कला और संस्कृति के समन्वय का एक सार्थक उदाहरण बताया।