राज्यपाल गहलोत ने डिजिटल साक्षरता, नवोन्मेषी सोच, वैश्विक दृष्टिकोण और सामाजिक उत्तरदायित्व के महत्व पर बल दिया। उन्होंने युवाओं से प्रतिभा, उद्यमिता और नवाचार के माध्यम से 2047 तक भारत को एक आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया।
विश्वविद्यालयों को छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन में भी सक्रिय योगदान देना चाहिए। परिसर की स्वच्छता बनाए रखने के लिए नियमित रूप से स्वच्छता अभियान चलाए जाने चाहिए।
बल्लारी स्थित विजयनगर श्री कृष्णदेवराय विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह को गुरुवार को संबोधित कर रहे राज्यपाल थावरचंद गहलोत Thawar Chand Gehlot ने कहा कि भारत हजारों वर्षों से वेदों, उपनिषदों, आयुर्वेद, योग, दर्शन और विधि के योगदान से ज्ञान का केंद्र रहा है। युवाओं को ज्ञान के इन खजानों पर शोध करके उन्हें वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना चाहिए। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए, उन्होंने कहा, शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्र का निर्माण होता है।
राज्यपाल गहलोत ने डिजिटल साक्षरता, नवोन्मेषी सोच, वैश्विक दृष्टिकोण और सामाजिक उत्तरदायित्व के महत्व पर बल दिया। उन्होंने युवाओं से प्रतिभा, उद्यमिता और नवाचार के माध्यम से 2047 तक भारत को एक आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया। चंद्रयान से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स से लेकर डिजिटल भुगतान प्रणालियों तक, भारत की उपलब्धियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि युवा ही देश की प्रगति की प्रेरक शक्ति हैं।
राज्यपाल गहलोत ने बेल्लारी की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की भी सराहना की और विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना की।
दीक्षांत समारोह के दौरान, डॉ. वसुंधरा भूपति, बी. नागनगौड़ा और इरफान रजाक को शिक्षा, साहित्य, स्वास्थ्य और समाज सेवा में उनके असाधारण योगदान के लिए मानद उपाधियां प्रदान की गईं।इस कार्यक्रम में इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलरेटर सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक प्रो. अविनाश चंद्र पांडे, कुलपति प्रो. एम. मुनिराजू और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।