बीएपी के बढ़ते विजयी रथ की गड़गड़ाहट से बीजेपी-कांग्रेस परेशान, दक्षिण राजस्थान के जनजाति बहुल इलाकों में इस पार्टी के वर्ष 2021 से लागू प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में ग्राम एकीकरण समिति के लोग तीन स्तर पर मतदान से तय करते हैं अंतिम उम्मीदवार
जितेन्द्र पालीवाल
दक्षिण राजस्थान के क्षेत्रीय दल भारत ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के अस्तबल से निकले भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सियासी घोड़े को भाजपा-कांग्रेस नहीं रोक पा रहे। उपचुनाव में चौरासी सीट पर बीएपी ने घटे अंतर के बावजूद अपना कब्जा बरकरार रखा ही, सलूंबर सीट पर भाजपा को जीत के लिए भी नाकों चने चबवा दिए।
हालांकि चौरासी में भाजपा ने 2023 का वोट शेयर 20.17 से बढ़ाकर 34.18 कर लिया, लेकिन बीएपी का घटा सिर्फ 7 फीसदी। बीएपी की सफलता के पीछे पार्टी का अंदरूनी मजबूत इलेक्टोरल कॉकस सिस्टम है। यहां वार्डपंच से लेकर सांसद तक की उम्मीदवारी से पहले दावेदार को अपनी ही पार्टी में मतदान प्रक्रिया के जरिये योग्यता साबित करनी होती है। तीन स्तर पर मतदान से तय होता है कि सरपंच, विधायक या सांसद का चुनाव कौन लड़ेगा। ऐसा सिस्टम अमरीका, कनाडा सहित कई देशों में है। बीएपी पार्टी जनजातीय इलाकों में अपना दबदबा लगातार बढ़ा रही है। पार्टी के अब पांच विधायक (4 राजस्थान, 1 मध्यप्रदेश में) और एक सांसद (बांसवाड़ा-डूंगरपुर) हैं। पार्टी पदाधिकारी बताते हैं कि तीन स्तर पर मतदान के बाद उम्मीदवार चुना जाता है। वार्डपंच व सरपंच चुनाव में पार्टी समर्थित, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, पार्षद, पालिकाध्यक्ष, विधायक व सांसद के चुनाव तक में भी समान प्रक्रिया अपनाई जाती है।
वीसीसी में समानांतर होती वोटिंग
गांव-गांव में ग्राम एकीकरण समितियां (वीसीसी) गठित हैं, जो मतप्रतिनिधि चुनती हैं। हरेक गांव से लोग मिलकर प्रत्याशी के 15 से 25 तक नाम तय करते हैं। यह प्रक्रिया सभी वीसीसी में सामानांतर चलती है।
यूं समझें एक विधानसभा सीट पर उम्मीदवार चयन प्रक्रिया को
पहला मतदान : हरेक वीसीसी में मतप्रतिनिधि 15-25 लोगों के नाम चयनित कर पैनल बनाते हैं, 2000 से ज्यादा लोग वोट करते हैं
द्वितीय चरण : तीन दावेदारों का पैनल चुनने करीब 1000 मतप्रतिनिधि करते हैं मतदान
तृतीय चरण : आखिरी प्रत्याशी चुनने हरेक वीसीसी से एक प्रतिनिधि, पार्टी के मंडल, ब्लॉक, जिला व राज्य कमेटी के पदाधिकारी और 14 शाखाओं के प्रतिनिधि होते शामिल।
यह भी खास : प्रथम मतदान कर चुका प्रतिनिधि बाकी चरण के मतदान में शामिल नहीं होता। वीसीसी के स्तर पर तय होते हैं मतप्रतिनिधि। कहीं आम सहमति होने पर नहीं होता मतदान।
चयन का यह आधार
यहां है संगठनात्मक ढांचा
बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, चित्तौडगढ़़, राजसमंद व सलूम्बर। मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी।
यह भी जानें
इन देशों में ऐसा सिस्टम
संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन, अर्जेंटीना
सत्ता में ही नहीं, हमने पार्टी में भी लोकतंत्रात्मक व्यवस्था मजबूत करने के मकसद से यह तय किया। ‘जनता की, जनता के लिए, जनता द्वारा’ की व्यवस्थात्मक सोच से वास्तविक लोकप्रिय उम्मीदवार को सामने लाना चाहते हैं। सब लोग निस्वार्थ भाव से इसमें हिस्सा लेते हैं।
मोहनलाल रोत, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत आदिवासी पार्टी
| सीट | 2023 वोट शेयर (%) | 2018 वोट शेयर (%) |
|---|---|---|
| आसपुर | 46.7 | 31.84 |
| चौरासी | 53.92 | 38.22 |
| धरियावद | 37.67 | 2.27 |
| सलूम्बर | 24.23 | नहीं लड़ा |
| डूंगरपुर | 25.95 | 7.98 |
| सागवाड़ा | 30.65 | 33.59 |
| वर्ष | वोट शेयर (%) |
|---|---|
| 2019 | 17.42 (बीटीपी) |
| 2024 | 50.15 (बीएपी) |
| सीट | 2024 वोट शेयर (%) | 2023 वोट शेयर (%) |
|---|---|---|
| सलूम्बर | 41.06 | 24.23 |
| चौरासी | 46.89 | 53.92 |