बारां

बजट नहीं मिलने का मलाल, आरओबी की हुई धीमी चाल

बजट नहीं मिलने से शहर में झालावाड़ रोड पर बन रहे आरओबी की धीमी चाल हो गई है। मई माह में 3 करोड का बजट स्वीकृत होने के बाद तेज रफ्तार से काम होने की उम्मीद जागी थी, राशि स्वीकृत तो हुई लेकिन आरएसआरडीसी के बैंक अकाउंट में पैसा नहीं आया। अधिकारियों ओर संवेदक फर्म के प्रतिनिधियों को पुराना बकाया बजट नहीं मिलने का मलाल है। पुराना बकाया बजट और नए कार्यों के लिए बजट मिलता तो काम बढ़ता। मलाल यह भी है कि झालावाड़ रोड पर आरओबी नहीं होने से लोगों को लंबे समय से असुविधा हो रही है।

2 min read
Jul 15, 2024
बजट नहीं मिलने से शहर में झालावाड़ रोड पर बन रहे आरओबी की धीमी चाल हो गई है। मई माह में 3 करोड का बजट स्वीकृत होने के बाद तेज रफ्तार से काम होने की उम्मीद जागी थी, राशि स्वीकृत तो हुई लेकिन आरएसआरडीसी के बैंक अकाउंट में पैसा नहीं आया। अधिकारियों ओर संवेदक फर्म के प्रतिनिधियों को पुराना बकाया बजट नहीं मिलने का मलाल है। पुराना बकाया बजट और नए कार्यों के लिए बजट मिलता तो काम बढ़ता। मलाल यह भी है कि झालावाड़ रोड पर आरओबी नहीं होने से लोगों को लंबे समय से असुविधा हो रही है।

बारां . बजट नहीं मिलने से शहर में झालावाड़ रोड पर बन रहे आरओबी की धीमी चाल हो गई है। मई माह में 3 करोड का बजट स्वीकृत होने के बाद तेज रफ्तार से काम होने की उम्मीद जागी थी, राशि स्वीकृत तो हुई लेकिन आरएसआरडीसी के बैंक अकाउंट में पैसा नहीं आया। अधिकारियों ओर संवेदक फर्म के प्रतिनिधियों को पुराना बकाया बजट नहीं मिलने का मलाल है। पुराना बकाया बजट और नए कार्यों के लिए बजट मिलता तो काम बढ़ता। मलाल यह भी है कि झालावाड़ रोड पर आरओबी नहीं होने से लोगों को लंबे समय से असुविधा हो रही है।

मंत्री ने भी किया निराश

बजट के सवाल पर प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी भी ठोस आश्वासन नहीं देकर टाल गए। उन्होंने कहा कि इस आरओबी के लिए पहले भी पैसा मिला है, आगे भी पैसा मिलेगा। उन्होंने बजट में शहर के नलका रेलवे फाटक पर आरओबी निर्माणके लिए की गई घोषणा के तहत भी नए आरओबी के नाम से पैसा मिलने की बात कही।

सूत्रों का कहना है कि जुलाई माह के पहले सप्ताह में गर्डर बिछाने का काम पूरा कर लिया गया था। अब बिछाई गई गर्डर की क्रोङ्क्षसग (सरीए से आपस में मजबूती से बांधने का कार्य) की जा रही है। करीब 10 दिनों में यह काम पूरा कर लिया जाएगा। वैसे गर्डर क्रोङ्क्षसग भी एक तरह से गर्डर बिछाने के कार्य का ही हिस्सा है। इससे नाम मात्र का ही काम चल रहा है, लेकिन इस दौरान भी बजट नहीं मिलता है तो वर्तमान में जारी धीमी चाल भी ठप हो जाएगी और पूरी तरह से काम बंद हो जाएगा।

गर्डर लॉंचिग के बाद अब उसकी क्रोङ्क्षसग का काम किया जा रहा है। फिलहाल 12 करोड़ से अधिक का बजट बकाया है। बजट नहीं मिला तो काम बंद ही होगा। खजूरपुरा तिराहा पर वर्षा जल निकास की व्यवस्था की जा रही है।
राकेश मीणा, परियोजना अधिकारी, आरओबी झालावाड़ रोड

Published on:
15 Jul 2024 12:01 am
Also Read
View All

अगली खबर