इस्लामी इतिहास का सुनहरा पड़ाव 1500वां ईद मिलादुन्नबी इस बार रिवायती अंदाज़ और शानो-शौकत के साथ मनाया जाएगा। शहर की गलियां, चौक और मोहल्ले रोशनी से जगमगा उठे हैं। जगह-जगह महफ़िलें, नातिया कार्यक्रम और सजावट की विशेष तैयारियां की गई हैं।
बरेली। इस्लामी इतिहास का सुनहरा पड़ाव 1500वां ईद मिलादुन्नबी इस बार रिवायती अंदाज़ और शानो-शौकत के साथ मनाया जाएगा। शहर की गलियां, चौक और मोहल्ले रोशनी से जगमगा उठे हैं। जगह-जगह महफ़िलें, नातिया कार्यक्रम और सजावट की विशेष तैयारियां की गई हैं।
जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन ख़ान फरमान मियां ने इस मौके पर देशवासियों को ईद मिलादुन्नबी की दिली मुबारकबाद दी और जुलूस में शरीक होने वाली तमाम अंजुमनों से सख्त अपील की। उन्होंने कहा कि जुलूस में कोई भी अंजुमन हथियार लेकर शामिल न हो। शोर-शराबा या अनुशासनहीनता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होगी। जुलूस को निर्धारित मार्ग पर, शरीयत के दायरे में ही निकाला जाए।
फरमान मियां ने साफ कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम की मोहब्बत में लोग सादगी के साथ दुरूद शरीफ पढ़ते हुए शामिल हों और भाईचारे, अमन-ओ-मोहब्बत का पैगाम आम करें।
मथुरापुर स्थित जमियातुर रज़ा में अटा, बीबियापुर, तिलियापुर, खनागौटिया, बहेड़ी, मीरगंज, बंदिया, मथुरापुर और परधोली समेत 50 से ज़्यादा अंजुमनों को सम्मानित किया जाएगा।
पुराने और नए दोनों शहरों में जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के पदाधिकारी तैनात रहेंगे, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो।
शहर की मस्जिदों और मदरसों में कुरआन ख्वानी और दुआ का आयोजन होगा।
गलियां और चौक “या रसूल अल्लाह” के नारों और नात-ओ-कसीदों से गूंज उठेंगे।
प्रशासन की ओर से सुरक्षा, यातायात और जुलूस मार्ग की विशेष व्यवस्था की जा रही है।
जगह-जगह सहायता केंद्र बनाए जाएंगे, ताकि जुलूस में शामिल किसी शख्स को दिक्कत न हो।
फरमान मियां ने युवाओं से खासतौर पर अपील की कि वे आपसी सौहार्द और मोहब्बत को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि 1500वां ईद मिलादुन्नबी इतिहास में यादगार साबित होगा, क्योंकि यह न सिर्फ आस्था का जश्न है बल्कि अनुशासन, भाईचारे और इंसानियत की मिसाल भी पेश करेगा।