बरेली

फर्जी सिम से साइबर ठगी की फैक्ट्री फूटी! बरेली से विदेशों तक फैला काला नेटवर्क बेनकाब, पांच थानों में एफआईआर से मचा भूचाल

साइबर अपराधियों की रीढ़ तोड़ने के लिए बरेली पुलिस ने अब सीधी और कठोर चोट शुरू कर दी है। पुलिस ने साफ कर दिया है कि साइबर ठगी की तीन सबसे बड़ी ताकत—डाटा, बैंक खाते और मोबाइल सिम अगर अपराधियों को नहीं मिलेंगी, तो ठगी अपने आप दम तोड़ देगी।

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Dec 20, 2025

बरेली। साइबर अपराधियों की रीढ़ तोड़ने के लिए बरेली पुलिस ने अब सीधी और कठोर चोट शुरू कर दी है। पुलिस ने साफ कर दिया है कि साइबर ठगी की तीन सबसे बड़ी ताकत—डाटा, बैंक खाते और मोबाइल सिम अगर अपराधियों को नहीं मिलेंगी, तो ठगी अपने आप दम तोड़ देगी। इसी रणनीति के तहत जिले में फर्जी सिम के नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई छेड़ दी गई है।

शुक्रवार को बरेली पुलिस ने पांच सिम एजेंटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर साइबर ठगों के लिए सिम सप्लाई करने वाले पूरे तंत्र पर करारा प्रहार किया। जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि बरेली से बेची गई ये सिम दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों कंबोडिया, म्यांमार, लाओस में इस्तेमाल हो रही थीं। एसएसपी अनुराग आर्य के निर्देश पर चलाए जा रहे इस अभियान से सिम माफिया में हड़कंप मच गया है।

पुलिस को भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से इनपुट मिला कि बरेली से खरीदी गई कुछ सिम का इस्तेमाल दूसरे राज्यों में हुई साइबर ठगी में हुआ है। रिपोर्ट मिलते ही संबंधित थानों को अलर्ट किया गया। थाना पुलिस ने जब जांच आगे बढ़ाई तो फर्जी दस्तावेजों पर सिम जारी करने का खेल सामने आ गया।

पांच थानों में दर्ज हुईं एफआईआर

–प्रेमनगर थाना: कर्मचारी नगर, साईं धाम कॉलोनी निवासी अशोक
–बारादरी थाना: रायल पार्क निवासी हरवेंद्र सिंह, राज अग्रवाल, अनमोल रत्न, सुभाष चंद्र और कृष्णकांत
–फरीदपुर थाना: सैदापुर निवासी सचिन कुमार
–भुता थाना: खजुरिया संपत निवासी हरिशंकर
–क्योलड़िया थाना: रवि और उमेश

जांच में यह साफ हो गया है कि आरोपितों ने कूटरचित कागजातों के सहारे सिम जारी कीं और वही सिम आगे चलकर साइबर ठगी का हथियार बनीं। पुलिस अब सप्लाई चेन, कमीशन और नेटवर्क तक पहुंचने की तैयारी में है।

विदेशों में कैसे होता है इन सिम का इस्तेमाल?

साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, फर्जी सिम का इस्तेमाल दो तरीकों से होता है। विदेश बैठे ठगों तक सिम पहुंचाकर इंटरनेशनल रोमिंग के जरिए कॉल कर ठगी। सबसे आसान और खतरनाक तरीका: भारत में ही सिम खरीदकर उसका नंबर विदेश बैठे ठगों को दे देना। वहां से ओटीपी लेकर व्हाट्सएप एक्टिवेट किया जाता है और फिर उसी भारतीय नंबर से ठगी का खेल शुरू होता है। यही वजह है कि ठग भारतीय मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि विदेशी नंबरों पर लोग जल्दी भरोसा नहीं करते।

पुलिस का सख्त संदेश

फर्जी सिम बेचने वाले सावधान हो जाएं। अब हर सिम की कुंडली खंगाली जाएगी, और जो भी साइबर ठगों का मददगार निकला, उसे बख्शा नहीं जाएगा। बरेली पुलिस का दावा है, यह शुरुआत है, आगे और बड़े खुलासे व गिरफ्तारियां तय हैं।

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