न्याय प्रणाली को अधिक सुलभ और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में ई-सेवा केंद्र की शुरुआत की गई।
बरेली। न्याय प्रणाली को अधिक सुलभ और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में ई-सेवा केंद्र की शुरुआत की गई। इसका उद्घाटन हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और जिला जज सुधीर कुमार ने संयुक्त रूप से किया।
अब वादकारियों और अधिवक्ताओं को विभिन्न प्रकार की न्यायिक सेवाएं एक ही स्थान पर डिजिटली उपलब्ध होंगी।
ई-सेवा केंद्र पर निम्न सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी:
वाहन चालान का भुगतान
ई-स्टांप दस्तावेजों की जानकारी
याचिकाओं की स्कैनिंग व फाइलिंग
ऑनलाइन स्टांप की खरीद
न्यायाधीशों की छुट्टियों की जानकारी
निशुल्क विधिक सहायता
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई की सूचना
वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से छोटे मामलों का निस्तारण
कैदियों से मुलाकात के लिए ई-बुकिंग सुविधा
न्यायालय आदेशों की सत्यापित प्रति उपलब्धता
उद्घाटन समारोह के बाद न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने न्यायिक अधिकारियों के साथ बैठक की और बार एसोसिएशन पदाधिकारियों से भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और बार के बीच सद्भावपूर्ण संबंध अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने अधिवक्ताओं की समस्याओं के शीघ्र समाधान का भरोसा भी दिलाया। इस दौरान बार एसोसिएशन अध्यक्ष मनोज कुमार हरित, सचिव दीपक पांडेय, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष शिरीष मल्होत्रा, स्पेशल जज उमाशंकर कहार, एडीजे कुमार गौरव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और अधिवक्ता उपस्थित रहे।
अधिवक्ताओं ने न्यायमूर्ति के समक्ष न्यायालय परिसर से संबंधित विभिन्न समस्याएं और मांगें रखीं, जिनमें प्रमुख रूप से:
न्यायालय परिसर स्थित पुराने ओवरहेड टैंक की मरम्मत
परिसर में स्थित अस्पताल में रक्त जांच सुविधा शुरू कराना
पीठासीन अधिकारियों का समय से न्यायालय में बैठना सुनिश्चित करना
अधिवक्ताओं के लिए पर्याप्त बैठने की व्यवस्था
मुकदमे की पत्रावलियों में अगली तारीखों की समय पर ऑनलाइन एंट्री
वकालतनामा और नकल संबंधी प्रश्नों की एक सप्ताह में जांच
न्यायालय परिसर के शौचालयों की नियमित सफाई
ई-सेवा केंद्र के शुभारंभ को न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता, त्वरित सेवा और तकनीकी समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। इस पहल से जहां आम जनता को समय और श्रम की बचत होगी, वहीं न्यायालय स्टाफ पर भी कार्यभार कम होगा।