जिला अस्पताल पर एक बार फिर लापरवाही का गंभीर आरोप लगा है। पुराने शहर की रहने वाली 55 वर्षीय शायरा बीवी मोतियाबिंद के इलाज के लिए 4 नवंबर को महाराणा प्रताप जिला अस्पताल पहुंचीं। मुफ्त उपचार के भरोसे उन्होंने नेत्र विशेषज्ञ डॉ. डी.एन. सिंह से ऑपरेशन कराया, लेकिन ऑपरेशन के अगले ही दिन उनकी आंखों की रोशनी चली गई।
बरेली। जिला अस्पताल पर एक बार फिर लापरवाही का गंभीर आरोप लगा है। पुराने शहर की रहने वाली 55 वर्षीय शायरा बीवी मोतियाबिंद के इलाज के लिए 4 नवंबर को महाराणा प्रताप जिला अस्पताल पहुंचीं। मुफ्त उपचार के भरोसे उन्होंने नेत्र विशेषज्ञ डॉ. डी.एन. सिंह से ऑपरेशन कराया, लेकिन ऑपरेशन के अगले ही दिन उनकी आंखों की रोशनी चली गई। परिवार ने अब अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।
परिजनों के मुताबिक, डिस्चार्ज होने के बाद जब शायरा घर पहुंचीं तो उन्हें आंखों में बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा था। परिजन तुरंत जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टर ने महंगी दवाइयां लिखकर आश्वासन दिया कि कुछ दिनों में स्थिति सुधर जाएगी। लेकिन चार दिन, फिर एक हफ्ता बीत गया। शायरा की आंख का दर्द बढ़ता गया, जबकि रोशनी पूरी तरह गायब रही।
17 नवंबर को परेशानी बढ़ने पर परिजन एक बार फिर डॉक्टर के पास पहुंचे, तो उन्हें निजी क्लिनिक ले जाने की सलाह दी गई। रामपुर गार्डन स्थित "Let There Be Light" क्लिनिक में जांच के बाद विशेषज्ञ ने साफ कहा कि आंख की स्थिति बेहद गंभीर है और रोशनी वापस आने की संभावना बेहद कम है। इलाज का खर्च भी हजारों-लाखों में बताया गया।
शायरा की बहन हमीदा की मानें तो ऑपरेशन के बाद से शायरा सदमे में हैं और दिन-रात रोती रहती हैं। हमने सरकारी अस्पताल पर भरोसा किया था, मगर उसी ने हमें अंधेरे में धकेल दिया। परिजनों ने सीएमओ विश्राम सिंह को पत्र देकर दोषी डॉक्टर पर कार्रवाई और मामले की जांच की मांग की है। उधर जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से अभी तक न तो कोई बयान आया है और न ही किसी स्तर पर जांच शुरू की गई है।