घनश्यामपुर गांव के आंगनबाड़ी केंद्र द्वितीय में तैनात कार्यकर्ता तारावती की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। अचानक मौत ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया है, जबकि परिजनों ने विभागीय दबाव को इसकी वजह बताया है। घटना के बाद आंगनबाड़ी विभाग से लेकर स्थानीय प्रशासन तक में खलबली मच गई है।
पीलीभीत। घनश्यामपुर गांव के आंगनबाड़ी केंद्र द्वितीय में तैनात कार्यकर्ता तारावती की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। अचानक मौत ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया है, जबकि परिजनों ने विभागीय दबाव को इसकी वजह बताया है। घटना के बाद आंगनबाड़ी विभाग से लेकर स्थानीय प्रशासन तक में खलबली मच गई है।
तारावती पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। बुधवार सुबह उन्होंने रोज की तरह ऑनलाइन हाजिरी लगाई और ड्यूटी पर पहुंचीं, लेकिन केंद्र पर अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन आनन-फानन में उन्हें नगर के एक निजी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिजनों का आरोप है कि तारावती को एसआईआर फॉर्म भरने और पुष्टाहार वितरण को लेकर लगातार मानसिक दबाव झेलना पड़ रहा था, जिससे वह तनाव में थीं। पति रमेश के मुताबिक, मंगलवार को ही मैं बरेली से उनका इलाज करा दवाएं लेकर आया था, लेकिन विभागीय दबाव ने उनकी हालत और बिगाड़ दी।
इधर, सीडीपीओ प्रभारी सुरभि सक्सेना ने परिजनों के आरोपों से इंकार किया, उन्होंने कहा कि तारावती को एसआईआर फॉर्म भरने की कोई लिखित ड्यूटी नहीं सौंपी गई थी। हालांकि विभागीय अधिकारी पूरे प्रकरण की जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं। गांव में मातृ-शोक का माहौल है। परिजन रो-रोकर बेहाल हैं और ग्रामीणों में भी गहरा आक्रोश है। अचानक हुई मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, आखिर कार्यकर्ता पर कितना काम का बोझ था? क्या विभागीय दबाव उनकी मौत की वजह बना? जवाबदेही से विभाग फिलहाल बचता नजर आ रहा है।