साइबर ठगों ने रिटायर्ड सूबेदार को ऐसा जाल बुनकर फंसाया कि वह पूरे 15 दिन तक ठगों की धमकियों में उलझे रहे। “डिजिटल अरेस्ट” का खौफ दिखाकर उनसे 12.30 लाख रुपये ऐंठ लिए। जब हकीकत सामने आई तो पीड़ित सूबेदार सीधे साइबर थाने पहुंचे और तहरीर दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर ठगों के खाते को होल्ड कराया है।
बदायूं। साइबर ठगों ने रिटायर्ड सूबेदार को ऐसा जाल बुनकर फंसाया कि वह पूरे 15 दिन तक ठगों की धमकियों में उलझे रहे। “डिजिटल अरेस्ट” का खौफ दिखाकर उनसे 12.30 लाख रुपये ऐंठ लिए। जब हकीकत सामने आई तो पीड़ित सूबेदार सीधे साइबर थाने पहुंचे और तहरीर दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर ठगों के खाते को होल्ड कराया है।
बिनावर थाना क्षेत्र के गांव खुनक निवासी मनोज कुमार, जो सेना से सूबेदार पद से रिटायर्ड हैं, उन्होंने बताया कि 26 अगस्त की शाम उनके मोबाइल पर फोन आया। कॉलर ने खुद को मुंबई पुलिस का सब-इंस्पेक्टर बताया और कहा कि उनका नंबर किसी फर्जी आधार आईडी से जुड़ा है और उसका गलत इस्तेमाल हुआ है। इसके बाद फोन दूसरे शख्स को थमा दिया गया। उसने खुद को सीबीआई अधिकारी राजेश मिश्रा बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी का केस दर्ज है। यहां तक दावा किया कि उनकी आईडी से जुड़ा एटीएम कार्ड केनरा बैंक से बरामद हुआ है। ठगों ने गिरफ्तारी वारंट की बात कहकर उन्हें डराया, लेकिन भरोसा दिलाया कि सहयोग करने और चुप्पी साधने पर गिरफ्तारी टल सकती है।
27 अगस्त की दोपहर दोबारा कॉल आया। इस बार ठगों ने कहा कि उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया गया है। साफ चेतावनी दी कि अगर कहीं गए या किसी से बात की तो तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा। घबराकर रिटायर्ड सूबेदार ने अपने खातों की पूरी जानकारी साझा कर दी। इसके बाद ठगों ने किस्तों में उनसे 12.30 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए।
करीब 15 दिन तक ठगों की धमकियों में फंसे रहने के बाद मंगलवार को सूबेदार को शक हुआ और उन्होंने साइबर थाने जाकर शिकायत दर्ज कराई। साइबर थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर विनोद वर्धन ने बताया कि शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। ठगों ने ज्यादातर रकम निकाल ली है, हालांकि बची हुई रकम को संबंधित खाते में फ्रीज करा दिया गया है।