बरेली

टपरी कांड: 35 करोड़ की टैक्स चोरी में बरेली-बदायूं के शराब माफियाओं पर लगा गैंगस्टर, नीलाम होगी प्रॉपर्टी

टपरी कांड में समाजवादी पार्टी से जुड़े शराब माफियाओं पर प्रशासन ने शिकंजा कस दिया है। अवैध शराब उत्पादन, डुप्लीकेट बार कोड की फाइलें जब खुलीं तो सामने आया कि टपरी फैक्टरी में करोड़ों का माल छिपाकर पूरे प्रदेश को सप्लाई दी जा रही थी। फर्जी रिकॉर्ड, तकनीकी छेड़छाड़ और अवैध खेप के इस खेल ने सरकार को 35 करोड़ रुपये की चपत लगा दी।

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Dec 12, 2025

बरेली। टपरी कांड में समाजवादी पार्टी से जुड़े शराब माफियाओं पर प्रशासन ने शिकंजा कस दिया है। अवैध शराब उत्पादन, डुप्लीकेट बार कोड की फाइलें जब खुलीं तो सामने आया कि टपरी फैक्टरी में करोड़ों का माल छिपाकर पूरे प्रदेश को सप्लाई दी जा रही थी। फर्जी रिकॉर्ड, तकनीकी छेड़छाड़ और अवैध खेप के इस खेल ने सरकार को 35 करोड़ रुपये की चपत लगा दी। अब सहारनपुर प्रशासन ने बरेली और बदायूं के शराब कारोबारियों की पूरी चेन पर गैंगस्टर एक्ट का हथौड़ा चला दिया है।

शराब माफियाओं की टैक्स चोरी के इस सिंडिकेट में कई कारोबारी कुछ ही सालों में रोड से करोड़पति बन गए। गैंग बनाकर धोखाधड़ी में फैक्टरी के एमडी प्रणय अनेजा, बरेली के शराब कारोबारी मनोज जायसवाल और उनके भाई नीरज जायसवाल समेत 27 लोगों को संगठित अपराध में शामिल पाकर डीएम मनीष बंसल की अनुमति पर गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया है। मामला देहात कोतवाली प्रभारी सूबे सिंह की तहरीर पर दर्ज किया गया।

जीपीएस, सीसी कैमरे और बारकोड ट्रैकिंग से छेड़छाड़

फैक्टरी में उत्पादन का असली आंकड़ा छिपाने के लिए तकनीकी सिस्टम में छेड़छाड़ की जाती थी। जीपीएस, सीसी कैमरे और बारकोड ट्रैकिंग से छेड़छाड़ कर गैर-लाइसेंसी शराब की खेप को सुरक्षित रूटों से बाहर भेजा जाता रहा। दस्तावेजों में हेरफेर, डेटा में कटौती और फर्जी प्रविष्टियों के जरिये पूरे नेटवर्क ने एक्साइज, जीएसटी और आयकर के नियमों की अनदेखी की। करीब 11 महीनों के भीतर प्रदेश सरकार को लगभग 35 करोड़ रुपये की राजस्व हानि पहुंचाई गई। यह सारा खेल फैक्टरी के कुछ अधिकारियों, आबकारी अधिकारियों, परिवहनकर्ताओं और बॉटलिंग व केमिकल यूनिट से जुड़े कर्मचारियों की मिलीभगत से चलता रहा।

बरेली से बदायूं समेत पूरी यूपी में फैला है शराब का कारोबार

नामजद मुख्य आरोपी प्रणय अनेजा बदायूं के दिवंगत सपा विधायक जोगेंद्र सिंह अनेजा का पौत्र है और शराब, सराफा और रियल एस्टेट जैसे कई व्यवसायों से जुड़ा है। मनोज और नीरज जायसवाल बरेली के ग्रीन पार्क निवासी हैं और फैक्टरी में पार्टनरशिप के जरिये जुड़े थे। इनके अलावा सीबीगंज के अश्विनी कुमार उपाध्याय, भमोरा क्षेत्र के अजय जायसवाल और मनीष उर्फ मिंटू जायसवाल, बदायूं के प्रदीप गुप्ता और बिल्सी निवासी वीरेंद्र शंखधार को भी इस अवैध सप्लाई चेन का अहम हिस्सा पाया गया। जांच में यह भी साबित हुआ कि फैक्टरी में यूनिट हेड, बॉटलिंग इंचार्ज, क्वालिटी कंट्रोलर, केमिस्ट, बारकोड डिस्पैचर, एटीपी प्रभारी, ट्रांसपोर्टर एसबीटीसी और ड्राइवर सहित आबकारी प्रशासन के कुछ अधिकारी भी गैरकानूनी गतिविधियों को कवर देने में संलग्न थे। राजस्व चोरी योजनाबद्ध तरीके से वर्षों से चल रही थी, जिसे अब सबसे बड़े शराब घोटालों में से एक माना जा रहा है। शराब की टैक्स चोरी धोखाधड़ी और जालसाजी में जिन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था और एसआईटी ने उसमें चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बावजूद शराब कारोबारी ने पूरे यूपी में शराब की दुकानों के ठेके ले रखे हैं।

गैंगस्टर एक्ट लगने के बाद यूपी में चल रहे शराब कारोबार पर संकट के बादल

गैंगस्टर एक्ट लागू होते ही अब पुलिस संपत्तियों की कुर्की, बैंक खातों की जांच, दस्तावेजों की फॉरेंसिक पड़ताल और गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाएगी। सहारनपुर पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह मामला एक साधारण कर चोरी नहीं बल्कि सुनियोजित आर्थिक अपराध है, जिसमें संगठित गिरोह बनाकर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया। बरेली के रहने वाले कई शराब कारोबारियों ने अपनी पत्नी रिश्तेदार भाई और दोस्तों के नाम शराब की दुकानों के लाइसेंस ले रखे हैं। चार्जशीट होने के बावजूद उन्होंने पूरे प्रदेश में शराब कारोबार का नया सिंडिकेट खड़ा कर दिया। गैंगस्टर लगने के बाद अब उनके सिंडिकेट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उनके रिश्तेदारों और नजदीकी लोगों के अब लाइसेंस भी निरस्त होने की तैयारी की जा रही है।

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