जिले में अवैध उपखनिज इस्तेमाल और रॉयल्टी की खुली लूट पर आखिरकार प्रशासन ने सख्त तेवर दिखा दिए हैं। कलेक्ट्रेट सभागार में हुई समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने दो टूक शब्दों में चेतावनी देते हुए साफ कर दिया कि अब न कोई बहाना चलेगा और न ही नियमों से खिलवाड़ बर्दाश्त किया जाएगा।
बरेली। जिले में अवैध उपखनिज इस्तेमाल और रॉयल्टी की खुली लूट पर आखिरकार प्रशासन ने सख्त तेवर दिखा दिए हैं। कलेक्ट्रेट सभागार में हुई समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने दो टूक शब्दों में चेतावनी देते हुए साफ कर दिया कि अब न कोई बहाना चलेगा और न ही नियमों से खिलवाड़ बर्दाश्त किया जाएगा। डीएम के आक्रामक रुख से कार्यदायी संस्थाओं और ठेकेदारों में हड़कंप मच गया।
बैठक में डीएम ने स्पष्ट किया कि सरकारी निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाला हर उपखनिज वैध अभिवहन प्रपत्र (ई-एमएम-11) और पूरी रॉयल्टी के साथ ही लाया जाए। बिना वैध दस्तावेज के उपखनिज खपाने वालों पर अब सीधी गाज गिरेगी। सिर्फ रॉयल्टी ही नहीं, बल्कि खनिज मूल्य भी वसूला जाएगा, जो रॉयल्टी का पांच गुना तक हो सकता है। यह पूरी रकम ठेकेदारों के बिल से सीधे काटी जाएगी।
खनन विभाग ने आंकड़ों के साथ बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 में अप्रैल से अक्टूबर तक कई निर्माण एजेंसियों ने अमान्य या बिना वैध प्रपत्रों के उपखनिजों का धड़ल्ले से परिवहन कराया। इसका नतीजा यह है कि रॉयल्टी, खनिज मूल्य और आईएसटीपी की मोटी रकम आज तक दबाई गई है। इसी वजह से जिले का राजस्व लक्ष्य प्रभावित हुआ है और मुख्यमंत्री पोर्टल पर बरेली की रैंकिंग भी लगातार नीचे खिसक रही है।
डीएम ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सख्त निर्देश दिए कि एक सप्ताह के भीतर हर हाल में बकाया राशि जमा कराई जाए। अगली बैठक में भुगतान से जुड़े सभी प्रमाण और पूरा हिसाब-किताब पेश करना अनिवार्य होगा। चेतावनी दी गई कि तय समयसीमा के बाद किसी को राहत नहीं मिलेगी और सीधे कार्रवाई कर जिम्मेदारों पर शिकंजा कसा जाएगा।