बाड़मेर की सियासत में नेताओं की बयानबाजी और रील वार से गरमी तेज हो गई है। बयानों की बिसात पर चालें चली जा रही हैं। रीलों की जंग में शब्द बाण बन रहे हैं और हर नेता अपने दांव से बाजी पलटने को बेताब है।
बाड़मेर: रेगिस्तान की तपती रेत में बाड़मेर की सियासत का पारा इन दिनों हाई है। यहां नेताओं की ‘नूराकुश्ती’ ने न सिर्फ स्थानीय राजनीतिक गलियारों को गर्माया, बल्कि पड़ोसी जैसलमेर और जोधपुर के सियासी पेट में भी तूफान मचा दिया।
बयानों की बिसात पर चालें चली जा रही हैं। रीलों की जंग में शब्द बाण बन रहे हैं और हर नेता अपने दांव से बाजी पलटने को बेताब है। आइए, झांकें इस सियासी रण में नेता अपने बयानों के तीर से किस पर निशाना साध रहे हैं और क्या सामने वाला किस तरह वार कर रहा है।
चौहटन विधायक आदूराम मेघवाल ने हेड कांस्टेबल थप्पड़ कांड में उनके हिसाब से साफ-साफ बोला, लेकिन उनके लिए यह बयान उनके ही समाज के नेताओं की कसौटी पर गलत है। जांच से पहले ही विधायक की ओर से डिप्टी को बचाने की बात उनके गले नहीं उतरी।
लिहाजा, आदूराम मेघवाल के खिलाफ कई नेताओं ने बयानबाजी कर मामले को और भी गर्मा दिया। इधर, इस मामले में समाज के कुछ नेताओं ने खुले में विधायक के खिलाफ जुबानी मोर्चा खोल दिया। हालांकि, मामला शांत होने से अब जुबानी जंग बंद है।
जैसलमेर के राजनेताओं को अपने यहां बार-बार कानून-व्यवस्था बिगड़ने को लेकर तो चिंता है ही, दूसरी फिक्र उनकी बाड़मेर के नेताओं की दखलअंदाजी को लेकर हो गई है। बाड़मेर के जनप्रतिनिधि अब जैसलमेर में पहुंच रहे हैं। जहां जैसलमेर के नेताओं के हाथ में कमान नहीं रहती। ऐसे में अब जैसलमेर में कांग्रेस-भाजपा दोनों दल इस बात से नींद नहीं ले पा रहे हैं कि ये हो क्या रहा है?
रविंद्र सिंह भाटी के जाने का दर्द अब दूसरे राजनेताओं के पेट में भी उठने लगा है। जोधपुर में बीते दिनों राजनाथ सिंह की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम में निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी के नारे लगने और इसके बाद भाटी को लेकर राजनाथ की प्रतिक्रिया से जोधपुर की राजनीति में हलचल मच गई।
इसके बाद कार्यकर्ताओं से बड़े नेता नाराज हुए और कुछ नजदीक वालों को तो फटकार भी मिली। जैसलमेर के नेताओं में भी यह दर्द होने लगा है। बाड़मेर में निर्दलीय बनाम भाजपा चल ही रहा है।
पचपदरा के पास में सांभर ग्राम पंचायत को घेरने को लेकर भाजपा जनप्रतिनिधि पूरी तैयारी में हैं। इसमें पचपदरा विधायक अरुण चौधरी, बायतु से बालाराम मूढ़ और कैलाश चौधरी भी हैं। हरीश चौधरी सांभर ग्राम पंचायत से रिफाइनरी की वजह से लगातार जुड़े हैं। ऐसे में उन्होंने अब इन सब नेताओं को एक मंच से कहा है कि वे अपनी-अपनी ग्राम पंचायत में विवादों को सुलझाए, सांभर में क्यों आ रहे हैं।
मुस्लिम समाज के एक सम्मेलन में कांग्रेस के एक नेता कचराखान ने अपने समाज के हाल ही में एक मंच पर आ रहे सभी नेताओं को ऐसी खरी-खरी सुना दी। उसे सबने सुना भी और सवाल भी छोड़ गया। इस मंच पर कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष फतेहखान, अमीन खान के पुत्र शेर मोहमद और कांग्रेस के अध्यक्ष हाजी गफूर अहमद तीनों मौजूद थे। एक मंच पर अब ये आए हैं।