बाड़मेर

New Year 2026: जब बाड़मेर वालों ने पाकिस्तान में मनाया था नया साल, जानिए अविस्मरणीय घटना

31 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान में बाड़मेर वाले थे। 1 जनवरी 1972 को हैप्पी न्यू ईयर भी वहीं मनाया था। जानिए अविस्मरणीय घटना-

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Dec 31, 2025
भारत—पाकिस्तान बॉडर. Photo- Patrika

बाड़मेर। 31 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान में बाड़मेर वाले थे। 1 जनवरी 1972 को हैप्पी न्यू ईयर भी वहीं मनाया था। 1947 के बाद यह एकमात्र साल रहा था, जब भारत ने पाकिस्तान की जमीन पर यह करामात की थी। भारत ने तब छाछरो फतेह कर लिया था। बाड़मेर कलक्टर की ओर से प्रशासक और पुलिस अधीक्षक की ओर से थाना वहां था। तत्कालीन जिला कलक्टर आईसी श्रीवास्तव कहते हैं कि यह गौरव का पल आज भी उन्हें रोमांचित करता है।

1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान 3 दिसंबर को बाड़मेर के बाखासर से ब्रिगेडियर भवानीसिंह के नेतृत्व में भारत की सेना ने कूच किया और 7 दिसंबर को छाछरो फतेह कर लिया। भारत के कब्जे में करीब 8000 वर्ग किमी जमीन आ गई। 100 किमी भीतर तक पहुंचकर भारत ने तिरंगा लहराया।

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7 दिसंबर को जंग जीतने के बाद में युद्ध विराम की घोषणा 16 दिसंबर को हो गई थी। इसके बाद जीती हुई जमीन पर बाड़मेर जिला कलक्टर प्रशासक और बाड़मेर पुलिस अधीक्षक की ओर से वहां थाना स्थापित किया गया। बाड़मेर के इन प्रतिनिधियों ने 31 दिसंबर 1971 को यहीं पर थर्टी फर्स्ट और 1 जनवरी 1972 को हैप्पी न्यू ईयर मनाया।

मुख्यमंत्री आए थे इससे पहले

तत्कालीन मुख्यमंत्री बरकतुल्लाहखां यहां दौरे पर आए थे। उन्होंने यहां पर तत्कालीन जिला कलक्टर के साथ पहुंचकर छाछरो में तिरंगा फहराया था। नवीं कक्षा के उस समय के छात्र श्रवणकुमार छंगाणी ने राष्ट्रगान गाया था। जो अभी बाड़मेर में रहते हैं और सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हैं।

1972 में सौंपी जमीन वापस

अक्टूबर 1972 में शिमला समझौता हुआ, तब यह जमीन पाकिस्तान को वापस सौंपी गई। इसके बाद बाड़मेर के प्रशासक और थाने में लगे कर्मचारी वहां से लौटे थे। ऐसे में यह एकमात्र साल रहा था जब हैप्पी न्यू ईयर पाकिस्तान में मनाकर बाड़मेर वाले लौटे थे।

स्मारक बनना चाहिए

जैसलमेर बॉर्डर पर लोंगेवाला का युद्ध हुआ। पाकिस्तान के 51वीं इंफ्रेंट ब्रिगेड के मुखिया तारीक मीर ने सपना देखा था कि लोंगेवाला में नाश्ता, रामगढ़ में लंच और जैसलमेर में डिनर करेंगे। उनको वहीं पर भारत ने मुकाबला कर रोक दिया। वहां पर वॉर म्यूजियम और बॉर्डर फिल्म भी बनी है । दूसरी ओर बाड़मेर के बाखासर से कूच करके छाछरो फतेह किया गया। हमारी बाड़मेर से गई सेना ने पाकिस्तान में नाश्ता,लंच और डिनर छोडि़ए अक्टूबर 1972 तक काबिज रही। वहां हैप्पी न्यू ईयर भी मनाया और गणतंत्र दिवस भी। इसके बावजूद बाड़मेर में न तो कोई वॉर म्यूजियम है और न ही कोई बड़ा स्मारक। यहां वॉर म्यूजियम बनना चाहिए।

  • एडवोकेट स्वरूपसिंह राठौड़, चाडी

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Updated on:
31 Dec 2025 01:39 pm
Published on:
31 Dec 2025 12:11 pm
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