श्राद्ध के दिनों में पंडित को घर बुलाकर तर्पण करवाने की व्यवस्था होने पर भी पंडित दो-तीन घर पर ही समय पर पहुंच सकते है। दूसरा कुछ परिवार ऐसे है जो अन्यत्र रहते है।
श्राद्ध के इन दिनों में अभिषेक लंदन में है और उनको मां का श्राद्ध पर उनके परिवार के लोगों ने ऑन लाइन की पंडितजी को यहां भारत में बाड़मेर में बैठाया और श्राद्ध का तर्पण-अर्पण करवाया। पाकिस्तान में बैठे हिन्दू परिवारों में श्राद्ध के इन दिनों में तर्पण यहीं से हो रहे है।
पंडित सुनील जोशी बताते है कि श्राद्ध के दिनों में पंडित को घर बुलाकर तर्पण करवाने की व्यवस्था होने पर भी पंडित दो-तीन घर पर ही समय पर पहुंच सकते है। दूसरा कुछ परिवार ऐसे है जो अन्यत्र रहते है। अब उनके लिए जिन पंडितजी के प्रति आस्था है, उन्हीं से श्राद्ध का कर्म भी करवाना है। ऐेसे में वे फिर पूजा विधि पंडितजी के बताए अनुसार कर रहे है। वे कहते हैै ब्रहार्पण का मंत्र बोलने के लिए उन्हें भी कॉल आते है तो वे इस प्रक्रिया को करवा रहे है।
पंडितों के लिए श्राद्धपक्ष ही नहीं अब दीपावली तक एडवांस बुकिंग आ रही है। नवरात्र में नौ दिन तक दुर्गापाठ के लिए शक्तिस्थलों पर पंडित एडवांस बुक है तो इसके बाद दीपावली पर यजमानों के यहां अन्य राज्यों में पहुंचकर उनके प्रतिष्ठान्न पर पूजा पाठ करवाएंगे, जिसमें सात दिन तक उनका प्रवास अलग-अलग शहरों में होगा।
श्राद्ध में गांवों व दूरस्थ इलाकों में पंडित की अनुपलब्धता पर अब यूट्यूब पर विधि अनुसार श्राद्ध करने का भी चलन निकल पड़ा है। पंडितजी की दक्षिणा/ भोजन निकट में घर पहुंचाई जा रही है
ई बैंकिंग की सुविधा होने से अब पंडितों की दक्षिणा का सिस्टम भी ऑन लाइन होने लगा है। पंडित भूपेन्द्र द्विवेदी बताते है कि श्राद्ध के इन दिनों में कई परिवार ऐसे है जो यजमान है। अन्य राज्यों में व्यवसाय करते है। वे पंचांग से संबंधित सलाह-मशविरा भी मोबाइल कॉल के जरिए करते है। इन दिनों श्राद्ध है तो ऐसे परिवार ई बैंकिंग से दक्षिणा भेज रहे है और बताते है कि आज श्राद्ध था पंडितजी।
बाड़मेर-जैसलमेर में शरणार्थी और विस्थापित परिवारों की पाकिस्तान से रिश्तेदारी है। शहर के रहने वाले शंकर त्रिवेदी बताते है कि उनके ननिहाल का पूरा परिवार छाछरो में है। परिवार में श्राद्ध है तो फिर लाइव देखते हैै। श्रीमाली परिवारों में रिवाज है कि श्राद्ध न हों तब तक घर के अन्य सदस्य भी साबुन नहीं लगाते है। ऐसे में श्राद्ध होने और ब्राह्मण भोजन की सूचना मिलते पर ही यहां वे भी स्नानादि कर प्रसाद ले रहे है।