किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी: विराटनगर क्षेत्र में करीब 30 प्रतिशत फसल बारिश से प्रभावित
विराटनगर में जून माह के अंतिम पखवाड़े में जब बारिश शुरू हुई तो किसानों को अच्छी पैदावार की आस जगी थी। अब पंचायत समिति क्षेत्र में पिछले कई दिनों से हो रही लगातार बारिश ने बाजरे की फसल को प्रभावित किया है। खेतों में खड़ी बाजरे की फसल पानी और तेज हवाओं से झुक गई है, जिससे किसान चिंतित हैं। विराटनगर क्षेत्र में करीब 16 हजार हेक्टेयर में बाजरे की बुवाई की थी, जिनमें से करीब 30 प्रतिशत फसल बारिश से प्रभावित हो चुकी है। बारिश का पानी खेतों में भरने और फसल आड़ी गिरने से बाजरे की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है। जिन पौधों पर दाने भर चुके हैं, वे मिट्टी में दबने से खराब होने लगे है। यदि समय पर धूप नहीं निकली तो कटाई के समय किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि इसी तरह मौसम का मिजाज बिगड़ा रहा तो उत्पादन आधा भी नहीं निकलेगा। कृषि विभाग से प्रभावित फसलों की गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजे की मांग की है। किसान बनवारी यादव ने बताया कि बारिश से गोभी और टमाटर के पौधे भी गलकर नष्ट हो रहे है।
इनका कहना है….
पिछले चार दिन से लगातार बारिश हो रही है। किसानों की बाजरे की फसल खेतों में पसर चुकी है। अब अगर धूप नहीं निकली तो दाने सड़ जाएंगे। इस बार लागत भी ज्यादा आई है, ऐसे में नुकसान की भरपाई मुश्किल है।
-ओमप्रकाश सैनी, विराटनगर
इस बार बारिश के समय पर आने पर अच्छी पैदावार की उम्मीदें थी, लेकिन अब लगातार बारिश और हवाओं से फसल खेतों में पसर गई है। सरकार को फसल खराबे की गिरदावरी करवाकर मुआवजा देना चाहिए।
-डालचंद पटेल, प्रांत मंत्री भारतीय किसान संघ
कई इलाके में पानी इतना भर गया है कि खेत में जाना भी मुश्किल हो गया। बाजरे के खेतों में पसरने से बालियां मिट्टी में दब गई हैं। जल्दी धूप नहीं निकली तो दाने अंकुरित होकर खराब हो जाएंगे।
-भगवत सिंह लुहाकना, भारतीय किसान संघ जिला सह मंत्री
इस बार अच्छी फसल की पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन बारिश से बाजरे की फसल में नुकसान है। किसानों के अनुसार करीब 40 प्रतिशत बाजरे की फसल खराब हो चुकी है। कृषि विभाग से सर्वे करवाकर राहत दिलवाने का काम किया जाएगा।
-भीमसहन गुर्जर, अध्यक्ष क्रय विक्रय सहकारी समिति विराटनगर
लगातार बारिश से बाजरे की फसल गलने लगी है। खेतों में जलभराव होने से फसल चौपट होने के कगार पर है। बाजरे की फसल बुवाई का खर्चा अधिक रहता है।
-मूलचंद मीणा, निवासी भाबरू