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National Handloom Day: भारत की 10 क्लासिक हैंडलूम जो हर महिला की वार्डरोब में होनी चाहिए

National Handloom Day पर जानिए भारत की 10 क्लासिक हैंडलूम साड़ियां जो हर महिला की वार्डरोब में होनी चाहिए। ये साड़ियां सिर्फ परिधान नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, विरासत और परंपरा की पहचान हैं। हर साड़ी की अपनी कहानी है जो भारतीय बुनकरों की मेहनत को दर्शाती है।

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Aug 07, 2025
Various type of fabric clothes in the shop (photo- freepik)

National Handloom Day: भारतीय परिधान अपने आप में एक खास पहनावा माने जाते हैं, जो पूरे विश्व में अपनी पारंपरिक खूबसूरती, रंग-बिरंगे डिजाइन और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाने जाते हैं। इन्हीं में से साड़ियां भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण पहचान हैं, जो परंपरा और सुंदरता को एक साथ समेटती हैं।

आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) है। यह हर साल 7 अगस्त को मनाया जाता है। ये सिर्फ कपड़े का जश्न नहीं है, ये हमारी जड़ों, हमारी मिट्टी की खुशबू और हमारी पहचान का जश्न है। आज के इस खास मौके पर हम आपको भारत की 10 ऐसी हैंडलूम साड़ियां जो हर भारतीय को जिंदगी में एक बार जरूर पहननी चाहिए। ये सिर्फ कपड़े नहीं हैं, ये कहानियां हैं, विरासत हैं, और आम चीजों के खिलाफ एक छोटी सी बगावत भी।

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भारत की 10 खास हैंडलूम साड़ियां

कांजीवरम (तमिलनाडु): रॉयल्टी की पहचान

अगर एलीगेंस का कोई चेहरा होता, तो वो कांजीवरम साड़ी होती। मुलबरी सिल्क और चौड़ी ज़री बॉर्डर के साथ बनी ये साड़ी हर साउथ इंडियन दुल्हन का सपना होती है।

जामदानी (पश्चिम बंगाल): कोमल और खूबसूरत

जामदानी में जो बारीक-बारीक डिजाइन होती हैं, वो हाथ से एक-एक धागा बुनकर बनाई जाती हैं। इसमें ना प्रिंट होती है और ना ही कढ़ाई।

चंदेरी (मध्य प्रदेश): हल्की जैसे यादें

अगर आपने कभी चंदेरी पहनी है, तो आप जानते हैं कि असली ग्रेस क्या होती है। बेहद हल्की, थोड़ी चमकदार, और इतनी एलिगेंट कि बस चुपचाप अपनी बात कह जाती है।

पैठानी (महाराष्ट्र): राजसी और रंगीन

मोर वाली पल्लू और चमकीले रत्न जैसे रंगों वाली पैठानी एक असली विरासत है। ये साड़ी दादी पर भी उतनी ही जंचती है जितनी किसी आज की ब्राइड पर।

पोचमपल्ली इकत (तेलंगाना): बोल्ड और अनोखी

अगर आपको अपनी साड़ी में थोड़ी अटिट्यूड चाहिए, तो ये साड़ी आपके लिए है। इसके पैटर्न, रंग और स्टाइल एकदम अलग और ध्यान खींचने वाले होते हैं।

बनारसी (उत्तर प्रदेश): हर धागे में त्यौहार

बनारसी साड़ी मतलब शाही अंदाज। इसमें जरी का काम, मुगल डिजाइन और भारी पल्लू इसे सबसे खास बनाते हैं। अब ये साड़ियां पेस्टल और मॉडर्न रंगों में भी मिलती हैं।

कसावु (केरल): सादगी की शान

सफेद साड़ी और सुनहरी बॉर्डर, यही तो है कसावु की पहचान। ये दिखावटी नहीं होती, लेकिन पहनने वाले को एक अलग ही रॉयल फील देती है।

मुगा सिल्क (असम): सोने जैसी चमक

मुगा सिल्क सिर्फ असम में मिलती है। इसकी नैचुरल गोल्डन चमक हर बार पहनने पर और भी निखरती है।

पटोला (गुजरात): बुनाई का करिश्मा

पटोला की डबल इकत तकनीक इतनी जटिल होती है कि एक साड़ी तैयार करने में कई महीने लग जाते हैं। दोनों तरफ एक जैसा डिजाइन होता है। जो इसे खास बनााता है।

इलकल (कर्नाटक): सादगी में सुंदरता

इलकल साड़ी रोज पहनने के लिए बिल्कुल सही होती है। इसकी गहराई लिए रंग, सिंपल लुक और कमाल का आराम इसे हर महिला की वॉर्डरोब में होना चाहिए।

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