भरतपुर

Bharatpur Crime : 15 साल से दे रहा था चकमा, आखिर 5 लाख का इनामी वांटेड हुआ गिरफ्तार, ‘लाला’ के जुर्म से कांप गया था कामां

Bharatpur Crime : भरतपुर के कामां में 15 साल पहले एक बड़ा अपराध हुआ था, जिससे सुनकर जनता कांप गई थी। आखिरकार 15 साल तक देश की कई सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के बाद 5 लाख का इनामी वांटेड 'लाला' गिरफ्तार हो गया। जानें 'लाला' के अपराध की कहानी।

2 min read
आधी रात को जुए के अड्डे पर पुलिस की दबिश, 11 गिरफ्तार, लाखों की नकदी- मोबाइल जब्त...(photo-patrika)

Bharatpur Crime : भरतपुर के कामां में 15 साल पहले एक बड़ा अपराध हुआ था, जिससे सुनकर जनता कांप गई थी। आखिरकार 15 साल तक देश की कई सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के बाद 5 लाख का इनामी वांटेड 'लाला' गिरफ्तार हो गया। जानें 'लाला' के अपराध की कहानी।

पुलिस मुख्यालय की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) ने भरतपुर के कामां में तत्कालीन न्यायाधीश रामेश्वर दयाल रोहिल्ला के पिता और भाई की हत्या करने वाले वांटेड को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार किया। मामले की जांच सीबीआइ के पास है। सीबीआइ ने आरोपी पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। आरोपी 15 वर्ष से देश की कई सुरक्षा एजेंसियों को चकमा दे रहा था।

ये भी पढ़ें

Banswara Crime : दिल्ली की दुल्हन का बड़ा फरेब, सुहागरात को खाने में कुछ खिलाया, सुबह दुल्हा उठा तो ‘खुशबू’ फुर्र हो गई थी

जुलाई 2010 में किया था मर्डर

एडीजी दिनेश एम.एन. ने बताया कि भरतपुर के कामां निवासी प्रवीण कुमार उर्फ लाला को गिरफ्तार किया गया। आरोपी ने बबलू, परसराम और डालचंद के साथ मिलकर 29 जुलाई 2010 को कामां में तत्कालीन न्यायाधीश रामेश्वर दयाल रोहिल्ला के परिवार पर हमला कर अंधाधुंध फायरिंग की थी। हमले में जज के पिता खेमचंद रोहिल्ला और भाई गिर्राज प्रसाद की मौत हो गई थी, जबकि जज के भाई एडवोकेट राजेंद्र प्रसाद रोहिल्ला, प्रमिला और अंजू गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

सीबीआइ कर रही जांच, दो पहले हो चुके गिरफ्तार

चार आरोपियों में से दो पहले पकड़े गए थे, अब एक आरोपी की तलाश जारी है। राजस्थान पुलिस ने शुरू में आरोपियों पर 25 हजार का इनाम घोषित किया था, लेकिन वर्ष 2011 में मामला सीबीआइ को सौंप दिया गया। सीबीआइ ने परसराम, प्रवीण उर्फ लाला, डालचंद और पदम सिंह को आरोपी बनाया था। पदम सिंह और डालचंद को गिरफ्तार किया गया, जबकि प्रवीण और परसराम फरार रहे। सीबीआइ ने दोनों पर 5-5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया।

हुलिया बदल गया, फिर भी पकड़ में आया

एडीजी दिनेश एम.एन. ने बताया कि करीब डेढ़ वर्ष पहले एजीटीएफ के एएसपी सिद्धांत शर्मा की टीम को वांटेड आरोपियों को पकडऩे का टारगेट दिया गया था। जानकारी मिली कि आरोपी प्रवीण गाजियाबाद की एक बस्ती में रह रहा है। वारदात के वर्षों बाद उसका हुलिया बदल चुका था, जिससे पहचान आसान नहीं थी। एएसपी की टीम ने गाजियाबाद में रहकर अलग-अलग बस्तियों में जांच की और पहचान की कोशिशें जारी रखीं।

20 किमी लंबी बस्ती, सैकड़ों तंग गलियों में घूमकर की पहचान

एएसपी सिद्धांत शर्मा ने बताया कि आरोपी की पहचान में एजीटीएफ के सदस्य महेंद्र कुमार, राम अवतार और अभिमन्यु कुमार सिंह की अहम भूमिका रही। पहचान के बाद सुभाष तंवर, राधा मोहन, कमल सिंह और रविंद्र की टीम ने दबिश देकर उसे पकड़ा। आरोपी कुछ समय दिल्ली भी शिफ्ट हुआ, लेकिन बाद में गाजियाबाद लौट आया। गाजियाबाद की 20 किमी लंबी बस्ती और सैकड़ों तंग गलियों में कई दिनों तक तलाश के बाद आरोपी के ठिकाने की पुख्ता जानकारी जुटाकर उसे गिरफ्तार किया गया।

ये भी पढ़ें

RGHS : आरजीएचएस में बड़ा अपडेट, 25 अगस्त से कैशलेस इलाज बंद, जानें क्यों

Published on:
23 Aug 2025 01:26 pm
Also Read
View All

अगली खबर