Pm E-Bus: राज्य सरकार इस सत्र में कंसेशन एग्रीमेंट को स्वीकृति दे देती है, तो नए साल में भिलाई-दुर्ग के लोगों को इसकी सौगात मिलने की पूरी संभावना है।
Pm E-Bus: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘पीएम ई-बस’ के तहत भिलाई देश के चुनिंदा शहरों में सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। नेहरू नगर स्थित ई-बस डिपो का 90 प्रतिशत निर्माण पूरा हो चुका है और शेष कार्य महज 10 दिनों में समाप्त किया जा सकता है। यदि राज्य सरकार इस सत्र में कंसेशन एग्रीमेंट को स्वीकृति दे देती है, तो नए साल में भिलाई-दुर्ग के लोगों को इसकी सौगात मिलने की पूरी संभावना है।
पहले चरण में भिलाई-दुर्ग को 50 मीडियम ई-बसें मिलेंगी, जिनसे रायपुर सहित आसपास के शहरों तक आधुनिक, किफायती और पर्यावरण-अनुकूल आवागमन संभव होगा। इससे प्रतिदिन यात्रा करने वाले छात्रों और नौकरीपेशा युवाओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
20-40 लाख आबादी वाले शहर: 150 ई-बसें
10-20 लाख तथा 5-10 लाख आबादी वाले शहर: 100-100 ई-बसें
05 लाख से कम आबादी: 50 ई-बसें
इसी श्रेणी में आते हुए दुर्ग-भिलाई को 50 ई-बसें स्वीकृत हैं। रायपुर को 100, बिलासपुर को 35 मीडियम + 15 मिनी, और कोरबा को 20 मीडियम + 20 मिनी ई-बसें मिलेंगी।
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर और कोरबा को पीएम ई-बस सेवा के लिए चुना है। वर्तमान में निजी बसों के ठसाठस भरे संचालन से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इलेक्ट्रिक बसें शुरू होने से न केवल सफर सुविधाजनक होगा, बल्कि किराया भी किफायती रहने की संभावना है।
ई-बसों से यह होगा फायदा हर तीन माह में अनिवार्य ऑडिट
इस तरह शहरी परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
बेहतर, भरोसेमंद सार्वजनिक परिवहन
कम ऊर्जा खपत
केंद्र सरकार इस योजना को पारदर्शिता-आधारित मॉडल पर चला रही है। परियोजना में दी गई राशि का थर्ड पार्टी ऑडिट अनिवार्य होगा। बस संचालन का हर तीन महीने में रिपोर्ट कार्ड देना होगा। बसों के संचालन पर मिली केंद्रीय सहायता तय किलोमीटर के अनुसार दी जाएगी। कम दूरी पर सहायता स्वत: घटेगी। यह व्यवस्था राज्यों की परिवहन सेवाओं को प्रदर्शन-आधारित प्रतिस्पर्धा से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
इलेक्ट्रिक बसों से शहर की हवा की गुणवत्ता बेहतर होगी और ध्वनि प्रदूषण भी घटेगा। मौजूदा समय में वायु प्रदूषण भिलाई-दुर्ग में गंभीर स्तर पर है, ऐसे में ई-बसें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगी।
बसों की खरीद और संचालन एजेंसी का चयन केंद्र सरकार ने कर लिया है। सहायता राशि बसों के प्रति किलोमीटर संचालन पर निर्भर होगी।शहरों का बेहतर प्रदर्शन भविष्य में मिलने वाले फंड को भी प्रभावित करेगा।
केंद्र सरकार चाहती है कि यह प्रोजेक्ट उन शहरों में मेट्रो के सस्ते विकल्प के रूप में विकसित हो, जहां भारी यातायात तो है, पर मेट्रो बनाना आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है।
कंसेशन एग्रीमेंट होते ही बसें शहर में दौड़ने लगेंगी
पीएम ई-बस सेवा को लेकर भिलाई में आवश्यक तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। राज्य सरकार द्वारा कंसेशन एग्रीमेंट होते ही बसें शहर में दौड़ने लगेंगी।