National Watch Day: भिलाई इस्पात संयंत्र से सेवानिवृत अनुभाग अधिकारी, सेक्टर-7, भिलाई निवासी एलसी. कश्यप के पास घड़ियों का अनूठा संग्रह है।
National Watch Day: घड़ियों ने हमारे समय को व्यवस्थित करने और जीवन को अधिक कुशलता से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मोबाइल के आने के बाद घड़ी का स्कोप थोड़ा बदल गया है, लेकिन अभी भी इसका महत्व बना हुआ है। खासकर फैशन और स्टाइल के मामले में। लोग घड़ियों को अपने परिधान के साथ पहनने के लिए उपयोग करते हैं और यह उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है। भिलाई इस्पात संयंत्र से सेवानिवृत अनुभाग अधिकारी, सेक्टर-7, भिलाई निवासी एलसी. कश्यप के पास घड़ियों का अनूठा संग्रह है।
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10वीं शताब्दी से आज तक घड़ी की चमक कायम
संग्रह में सोने की पालिस एवं चीनी मिट्टी के डायल वाली दुर्लभ विदेशी घड़ियां भी है। फेवरलूबा, जाइको, हंबर, विंडसर, हेस, हेनरी सांडोज, सिटिजन, कमय,ओरिस-15, ऑलविन, सिैको, टाईटस, टीटोनी, ट्रेना, बिफोरा, रिचो, रोमेर, वेकअप, टाइम स्टार ी इनमें अधिकतर स्विस मेड घड़ियां है। पूर्व के दुर्लभ संग्रह गोल्ड बुक में दर्ज
घड़ियों का इतिहास 10वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब यूरोप में घड़ी निर्माण की नई-नई विधियां विकसित की जा रही थीं। समय के साथ, घड़ियों का विकास हुआ और वे अधिक सटीक और उपयोगकर्ता-मित्री हो गईं। आजकल विभिन्न प्रकार की घड़ियां हैं, जैसे कि यांत्रिक घड़ियां, इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां और परमाणु घड़ियां आदि।
पुरानी चीजों के संग्रह का शौक
कश्यप का कहना है कि घड़ी संग्रह की प्रेरणा उन्हें सलारगंज क्यूनियम हैदराबाद में घड़ियों की गैलरी देखने के पश्चात् हुई। उन्होंने बताया कि देश विदेश के 70-80 वर्ष पुरानी एवं दुर्लभ घड़ियों का एक संग्रह किया है, इनकी संया-120 है, 80 घड़िया चालू हालत में है।उनके संग्रहों (सरौते, चूना डिब्धी, पानदान, प्राचीन दवात. संदूरदार, काजलवान, सुरगेदान) आदि लिका बुक समेत कई रिकॉर्ड में शामिल किए गए हैं।