High-Temperature Superalloy: आईआईटी भिलाई, नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और बीआईटी दुर्ग के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक उन्नत हाई-एंट्रॉपी सुपरअलॉय तैयार किया है।
IIT Bhilai:मोहम्मद जावेद. छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले में रक्षा, एयरोस्पेस और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत को बड़ी सफलता मिली है। आईआईटी भिलाई, नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और बीआईटी दुर्ग के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक उन्नत हाई-एंट्रॉपी सुपरअलॉय तैयार किया है, जो अत्यधिक तापमान, दबाव और लोड झेलने वाले हाई-एंड प्रोजेक्ट्स के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
इसका उपयोग आगामी एएमसीए फाइटर जेट इंजन, डीआरडीओ के हाइपरसोनिक वाहन, इसरो के रीयूजेबल रॉकेट, गैस टर्बाइनों, न्यूक्लियर रिएक्टरों और भविष्य के हाइड्रोजन इंजनों में किया जा सकेगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह धातु भारत के लिए ‘भविष्य की रणनीतिक मटेरियल टेक्नोलॉजी’ बन सकती है।
शोधकर्ताओं ने कुल 24 अलग-अलग अलॉय संरचनाएं वैक्यूम आर्क मेल्टिंग तकनीक से तैयार कीं। इनमें से एक सिलिकॉन-युक्त टाइटेनियम आधारित हाई-एंट्रॉपी अलॉय ने सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन दिया। इस परियोजना का नेतृत्व आईआईटी भिलाई के प्रोफेसर आर जोंस इमैनुएल, बीआईटी दुर्ग के प्रोफेसर अनिल कुमार और नॉर्थ ईस्टर्न इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर संतोष तामांग ने किया। युवा शोधकर्ताओं प्रियम कश्यप शर्मा, अभिनंदन कुमार ठाकुर और पूनम दीवान ने प्रयोगात्मक विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
अमेरिका, चीन, जापान और यूरोप इस तकनीक पर वर्षों से शोध कर रहे हैं, लेकिन बड़े औद्योगिक स्तर पर इसका उपयोग अभी सीमित है। भारत में इस श्रेणी के उच्च-ग्रेड अलॉय का निर्माण पहली बार स्थानीय स्तर पर सफल हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत एयरोस्पेस, रक्षा और ऊर्जा शोध की वैश्विक होड़ में मजबूती से प्रवेश करेगा। युवा शोधकर्ता प्रियम कश्यप शर्मा और अभिनंदन कुमार ठाकुर और सुपरअलॉय।
1 . अलॉय को 3-डी प्रिंटिंग के अनुकूल डिजाइन किया गया है। एयरोस्पेस कंपनियां जटिल पार्ट्स को थ्री-डी प्रिंट कर सकेंगी।
2. टर्बोचार्जर 900डिग्री तक गर्मी झेलते हैं। यह अलॉय दुर्घटना, ओवरहीटिंग और आग के जोखिम को कम कर देगा।
3. थ्रस्ट चैंबर, नोजल और हीट शील्ड जैसे भागों में यह अलॉय चरम तापमान को सहन करेगा, जिससे मिशन की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
4. भविष्य के थोरियम आधारित रिएक्टरों के लिए यह गेम-चेंजर साबित होगा।
5. भारत 150 केएन सुपर क्रूज इंजन विकसित कर रहा है। नया अलॉय ब्लेड और कंबशन सेक्शन को हल्का, मजबूत और 2000 डिग्री तक स्थिर बना सकता है, जिससे विदेशी इंजनों पर निर्भरता कम होगी।
6. पावर प्लांट की हाई-टेम्परेचर गैस टर्बाइनों में ब्लेड और कंबशन चैंबर इस अलॉय से ज्यादा टिकाऊ बनेंगे।