लापरवाही का नमूना: जिंदल से डेढ़ माह में लेना था अंडरपास के खर्चे का ब्योरा व शेष राशि
Bhilwara news : अफसरशाही और जनप्रतिनिधि शहर की समस्याओं को लेकर किस कदर लापरवाह हैं, इसका नमूना स्वायत्त शासन विभाग और नगर निगम के बीच पत्राचार में देखा जा सकता है। भीलवाड़ा को जाम से निजात दिलाने में अहम एक और ओवरब्रिज से जुड़े मामले में विभाग व निगम का रवैया निराशाजनक है। निगम व जिंदल सॉ लिमिटेड के मध्य ओवरब्रिज निर्माण के समझौते के 13 साल बाद भी शर्तों की पालना नहीं हो सकी है क्योंकि इसके लिए ना अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधि मन से प्रयास कर रहे हैं। अब जब स्वायत्त शासन विभाग के मुख्य अभियंता ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर ओवरब्रिज निर्माण की अनुमानित लागत से अंडरपास पर किए खर्च के बाद शेष राशि का हिसाब मांगा तो इससे संबंधित पत्र जयपुर से 70 दिन बाद भीलवाड़ा पहुंचा।
70 दिन पहले जयपुर में हुई थी बैठक
असल में निगम व जिंदल सॉ लि. के मध्य 5 अक्टूबर 2011 को हुए अनुबंध की शर्तों की पालना को लेकर स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में 13 नवंबर 2024 को जयपुर में बैठक हुई। इसमें जिंदल ने निगम से वर्ष 2011 के अनुंबध की शर्त संख्या 16 के आधार पर शहर में रामधाम के सामने जिंदल को ओवरब्रिज बनवाना था। इसका समस्त खर्चा (निर्माण और भूमि का मुआवजा) जिंदल को उठाना था। इस पर चर्चा हुई। बैठक के अनुसार, जिंदल ने अनुबंध की शर्त संख्या 16 की अनुपालना में अनुबंध के समय ओवरब्रिज निर्माण की अनुमानित लागत में से भीलवाडा शहर के रेलवे लाइन के नीचे निर्मित तीन अंडरपास में भरने वाले पानी की निकासी, यातायात सुगम करने व अन्य मरम्मत का वास्तविक खर्च कम करने के बाद शेष राशि का भुगतान निगम को करने का निर्णय किया था, लेकिन जिंदल ने अब तक भुगतान नहीं किया।
22 जनवरी को जारी पहला पत्र
जयपुर बैठक के बाद स्वायत्त शासन विभाग के मुख्य अभियंता अरुण व्यास ने 22 जनवरी को निगम आयुक्त को पत्र लिखा, जिसमें जिंदल से हिसाब मांगने को कहा। यह भी जिक्र किया कि बैठक के 45 दिन में जिंदल के प्रतिनिधि विभाग को निर्णय से अवगत कराएंगे, लेकिन जिंदल ने जवाब नहीं दिया। असल में 13 नवंबर की बैठक के निर्णय का पत्र विभाग ने 22 जनवरी को जारी किया। इस पत्र के आधार पर आयुक्त हेमाराम ने जिंदल को 30 जनवरी को पत्र लिखा। इसमें अंडरपास पर किए खर्च का हिसाब मांगा व शेष राशि का भुगतान अविलम्ब निगम को करने को कहा ताकि पालना रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जा सके। यहां बताते चलें कि जयपुर बैठक में हिसाब के लिए 45 दिन की मियाद तय की गई थी।
वर्ष 2017 में 30 करोड़ की बनी थी डीपीआर
निगम ने वर्ष 2017 में ओवरब्रिज निर्माण के लिए डीपीआर बनाई थी। तब निर्माण लागत 30 करोड़ रुपए मानी थी, लेकिन मामला एनजीटी में गया व ओवरब्रिज की जगह अधिकारी अंडरपास के रखरखाव पर सहमत हो गए थे।
जिंदल से मांगा है हिसाब
जयपुर बैठक के बाद मिले पत्र के आधार पर जिंदल सॉ से अंडरपास पर खर्च की राशि का हिसाब मांगा व शेष राशि मांगी है। इसके लिए जिंदल को पत्र लिखा।
-हेमाराम, आयुक्त नगर निगम
पत्र का जवाब भेजा है
निगम से मिले पत्र का हमने जवाब भेज दिया है। अभी ऑफिस में नहीं हूं। इस बारे में ज्यादा जानकारी कल दे सकता हूं।
एसबी सिन्हा, एडमिन हैड जिंदल