कोदूकोटा में तैयार किया आधुनिक पपीता बाग… 7 माह में आया उत्पादन 200 क्विंटल पपीता बेचकर अब तक 4.40 लाख की कमाई भीलवाड़ा से जयपुर, उदयपुर, अहमदाबाद तक पहुंच रही खेप
उच्च शिक्षा एवं व्यवसायिक वर्ग से जुड़े होने के बावजूद भीलवाड़ा के दिव्यन सोमानी ने खेती को अपना पेशा बनाकर एक नई मिसाल पेश की है। दृढ़ इच्छाशक्ति और निरंतर मेहनत के दम पर बागवानी के क्षेत्र में सफल किसान व उद्यमी के रूप में पहचान बना चुके हैं।
शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने व्यवसाय की दुनिया में कदम रखा और उल्लेखनीय सफलता भी पाई, लेकिन मन में कुछ अलग करने की चाह उन्हें खेती की ओर ले आई। परिवार के सहयोग और अपने संकल्प के साथ मार्च 2025 में कोदूकोटा के पास उद्यान विभाग के मार्गदर्शन में 15 एकड़ भूमि पर 15 हजार पपीते के पौधे लगाकर आधुनिक बगीचा तैयार किया।
उन्होंने बताया कि फलों को पूर्ण रूप से पकने के बाद ही पौधे से तोड़ा जाता है। इससे फल की मिठास, स्वाद और गुणवत्ता बाजार में अलग ही पहचान बना रहे हैं। यही कारण है कि कोदूकोटा का पपीता ग्राहकों की पहली पसंद बन गया है और बाजार में भी इसे बेहतर मूल्य मिल रहा है।
नवम्बर 2025 तक दिव्यन करीब 200 क्विंटल पपीता औसत 22 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेच चुके हैं। इससे उन्हें करीब 4.40 लाख रुपए की आमदनी हुई है, जबकि यह केवल कुल उत्पादन का 10 प्रतिशत है। शेष 90 प्रतिशत फल अभी पौधों पर हैं, जिनकी तुड़ाई आने वाले समय में चरणबद्ध तरीके से की जाएगी।
उच्च गुणवत्ता और प्राकृतिक मिठास के कारण कोदूकोटा का पपीता स्थानीय बाजार के साथ-साथ जयपुर, उदयपुर और अहमदाबाद की बड़ी मंडियों तक भेजा जा रहा है। सोमानी ने अपनी खेती से न केवल आर्थिक सफलता हासिल की है, बल्कि स्थानीय स्तर पर दर्जनों लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है। उनकी मेहनत और संघर्ष की कहानी प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है। उनका कहना है, किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हिम्मत और कड़ी मेहनत जरूरी है। खेती में अपार संभावनाएं हैं, बस सोच बदलने की जरूरत है।
वैसे तो पपीता सेहत के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। इस फल को कच्चा और पक्का दोनों तरह से लोग खाते हैं। फल में विटामिन-सी, ए, बी, ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही फल में विटामिन के साथ ही कैलोरी, प्रोटीन, वसा, कार्ब्स और फाइबर जैसे पोषक तत्व होते हैं। लोग भारतीय पपीते का स्वाद खूब लिए होंगे, लेकिन अब भीलवाड़ा में ताइवान-15 के पपीते का लोग स्वाद लेने लगे हैं। दिव्यन ने बताया कि वह कर्नाटक की नर्सरी से 15 हजार पौधे लेकर आया। आज 14 हजार पौधों पर पपीते आ रहे है। सर्दी में इनका उत्पादन कम होता है, लेकिन जैसे-जैसे गर्मी आएगी उत्पादन बढ़ जाएगा।
कोदूकोटा में ताइवान-15 के पपीता का फार्म है। युवक ने नवाचार किया है उसे अन्य युवाओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। ताइवान के पपीते की देश में काफी मांग है। यह हर बीमारी में काम आता है। यह स्वाद भी अच्छा है।
शंकरसिंह राठौड़, उपनिदेशक उद्यान भीलवाड़ा