जुड़वां छात्राएं एक इकाई, पुरस्कार राशि खाते में जमा होगी
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने साल 2024 में 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण बालिकाओं के लिए एकल पुत्री द्विपुत्री योग्यता पुरस्कार का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस योजना के तहत बोर्ड ने पात्र छात्राओं से ऑफलाइन आवेदन 30 मई तक मांगे हैं। इसके लिए बोर्ड ने राज्य की कट ऑफ सूची बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इस योजना में उन छात्राओं को लाभ मिलेगा जो अपने परिवार में एकल अथवा द्विपुत्री संतान है या फिर बोर्ड की निर्धारित कट ऑफ से अधिक अंक कक्षा 10 व कक्षा 12वीं में प्राप्त किए हैं। बोर्ड छात्राओं को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के साथ-साथ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं अभियान में भी सकारात्मक भूमिका निभा रहा है।
यह मिलेगा पुरस्कार
इस योजना में बोर्ड 11 हजार से लेकर 51 हजार तक का पुरस्कार प्रदान करता है। बोर्ड ने राज्य स्तर पर उच्च माध्यमिक परीक्षा के विज्ञान, वाणिज्य, कला संकाय की पुरस्कार राशि 51 हजार रुपए और माध्यमिक, माध्यमिक और प्रवेशिका परीक्षा 2024 की पुरस्कार राशि 31 हजार तय की है। जिला स्तर पर 11 हजार पुरस्कार राशि दी जाएगी। योजना में आवेदन के लिए छात्राओं को सात दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। इसमें भरा हुआ मूल आवेदन पत्र, माता-पिता का संतान संबंधी शपथ पत्र 50 रुपए के स्टांप पर, संस्था प्रधान या जनप्रतिनिधि का अनुशंसा पत्र, परिवार राशन कार्ड की सत्यापित फोटो प्रति, बैंक पासबुक या चैक की फोटो प्रति, आधार कार्ड या पहचान पत्र, बोर्ड परीक्षा अंक तालिका की सत्यापित प्रति लगानी होगी।
पुरस्कार राशि बैंक खातों में ऑनलाइन जमा होगी
इस योजना में वे छात्राएं ही पात्र हैं, जो अपने माता-पिता की एक मात्र संतान हैं या केवल दो पुत्रियां हैं अथवा अपने माता-पिता की तीन बेटियां हैं, लेकिन एक बेटी के बाद दो जुड़वां बेटियां हों। इसमें दोनों जुड़वां बेटियों को एक इकाई माना जाएगा। बोर्ड की ओर से पात्र छात्राओं को पुरस्कार राशि का वितरण छात्राओं के बैंक खातों में ऑनलाइन किया जाएगा।
छात्राओं के लिए अच्छा प्रयास
वर्ष 2012 से लगातार छात्राओं के प्रोत्साहन के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की तरफ से छात्राओं को ये पुरस्कार दिया जा रहा हैं। बोर्ड की छात्राओं को अधिक से अधिक शिक्षा से जोड़ने के लिए अच्छी पहल है। इससे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान सार्थक होगा। बोर्ड ने कट ऑफ जारी कर दी है।
डॉ. रामेश्वर प्रसाद जीनगर, एडीपीसी भीलवाड़ा