स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित न हों, एनएचएम मिशन निदेशक ने कलक्टरों को दिए निर्देश
राज्य में आगामी चुनावी तैयारियों के बीच चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आशा कार्यकर्ता, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और एएनएम को किसी भी प्रकार की चुनावी ड्यूटी, सर्वेक्षण ड्यूटी या एसआईआर सर्वेक्षण कार्य में नहीं लगाया जाए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव डॉ. अमित यादव ने इस संबंध में सभी जिला कलक्टर को पत्र भेजकर इसे सर्वोच्च प्राथमिकता से पालन करने को कहा है।
पत्र में उल्लेख है कि आशा कार्यकर्ता, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और एएनएम राज्य में मातृ-शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, प्रसव सेवा, रोग निगरानी, परिवार नियोजन, एवं संचारी, गैर-संचारी रोग नियंत्रण जैसी अहम जिम्मेदारियाँ निभा रहे हैं। ऐसे में इन्हें चुनावी कार्यों में लगाने से टीकाकरण अभियान, पोलियो अभियान, संस्था आधारित प्रसव सेवाएँ तथा अन्य रोग निवारण गतिविधियाँ प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकती हैं।
प्रोत्साहन आधारित होने के कारण ड्यूटी उपयुक्त नहीं
स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि आशा कार्यकर्ता समुदाय स्तर पर काम करने वाली स्वैच्छिक स्वास्थ्य सहयोगी हैं। इन्हें कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि मिलती है। ऐसे में उन पर चुनावी ड्यूटी का भार डालना उचित नहीं है और इससे ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में चल रही स्वास्थ्य गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
सीएचओ व एएनएम की भूमिका महत्वपूर्ण
राज्य के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में तैनात सीएचओ गर्भवती महिलाओं की देखभाल, शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, रोग स्क्रीनिंग सहित अत्यावश्यक चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं। वहीं एएनएम गांव-स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की मुख्य कड़ी हैं। इन्हें चुनावी सर्वेक्षण या अन्य गतिविधियों में लगाने से स्वास्थ्य सूचकांक पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका जताई गई है।
प्रशासन को सख्त पालन के निर्देश
डॉ. यादव ने कहा है कि राज्य की आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी व्यवधान के चलती रहें, इसलिए सभी ज़िलों में यह सुनिश्चित किया जाए कि आशा, सीएचओ और एएनएम को चुनावी ड्यूटी, चुनावी सर्वेक्षण या एसआईआर सर्वेक्षण में किसी भी रूप में तैनात न किया जाए।