- 'विद्या संबल' योजना के तहत कार्यरत 2700 शिक्षकों ने मांगा स्थायी समायोजन - स्क्रीनिंग कर नियमित करने की मांग; मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को सौंपा ज्ञापन
राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय अतिथि सहायक आचार्य संघ (विद्या संबल योजना) ने प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि सहायक आचार्यों को संविदा भर्ती के नाम पर हटाए जाने के खिलाफ राज्यव्यापी प्रदर्शन किया है। संघ सदस्यों ने विभिन्न जिला मुख्यालयों पर एकत्र होकर मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने वर्षों से कार्यरत लगभग 2700 सहायक आचार्यों और उनके परिवारों के साथ होने वाले अन्याय को लेकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। साथ ही अन्य राज्यों की तर्ज पर स्क्रीनिंग के माध्यम से उन्हें स्थायी रूप से समायोजित करने की मांग की।
संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष बीपी यादव ने बताया कि राजकीय महाविद्यालयों में ये सहायक आचार्य वर्ष 2021 से लगातार कार्यरत हैं। उनका चयन यूजीसी रूल्स एंड रेगुलेशन 2018 की टेबल नंबर 3 बी के तहत हुआ है, जो सहायक आचार्य चयन प्रक्रिया का आधार है। उन्होंने दावा किया कि इन शिक्षकों ने राजकीय महाविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतरीन ढंग से संचालित किया है। इसके परिणामस्वरूप विद्यार्थियों को बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। कोरोना काल जैसी विषम परिस्थितियों में भी इन्होंने निरंतर कार्य किया।
सहायक आचार्यों का कहना है कि अब सरकार उच्च शिक्षा विभाग के 374 राजसेस महाविद्यालयों और अन्य पदों पर 5 वर्ष के लिए संविदा भर्ती कर रही है। पिछले 5 सत्रों से इन्हीं पदों पर कार्यरत विद्या संबल योजना के तहत लगे सहायक आचार्यों को अब हटाया जा रहा है। इससे सभी बेरोजगार हो जाएंगे।
सहायक आचार्यों ने बताया कि राजसेस हियरिंग ऑफ मैन पॉवर रूल - 2023 में किए गए प्रथम संशोधन-2025 के तहत, सरकार की ओर से अधिग्रहित किए गए 10 निजी महाविद्यालयों में कार्यरत स्टाफ को हाल ही में स्क्रीनिंग के माध्यम से समायोजित कर उन्हें 5 वर्ष की सेवा की सुनिश्चितता प्रदान की गई है। इसके लिए संविदा रूल 2023 का लाभ दिया गया। यादव ने तर्क दिया कि जब इन स्टाफ सदस्यों को स्क्रीनिंग के माध्यम से संविदा सेवा का लाभ दिया जा सकता है, तो यूजीसी एक्ट 2018 की टेबल 3 बी के तहत चयनित विद्या संबल सहायक आचार्यों के विषय में अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी इन न्यायोचित मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो प्रदेशभर के सहायक आचार्य आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। ज्ञापन सौंपने के दौरान डॉ.बीपी.यादव, डॉ. जितेंद्र, अवधेश जोहरी, नेहील नायक, चेतना रावत, ओपी. कुमावत, वेदप्रकाश धाकड़, ब्यूटी मीणा, वीणा राणावत, अनुराधा छापरवाल, पूजा पारीक, प्रियंका ओझा उपस्थित थे।