- भीलवाड़ा-शाहपुरा के 1636 किसान समूह में कर रहे खेती - रबी सीजन में गेहूं, चना, मटर और सब्जियां उगाई जा रही
Bhilwara news : बढ़ते रसायनों के दुष्प्रभाव से बचाव के लिए अब भीलवाड़ा व शाहपुरा जिले के किसान जैविक खेती की ओर लौट रहे हैं। जिले में 1636 किसान ऐसे हैं, जो पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं। जिले में 1500 हेक्टेयर भूमि पर जैविक तरीके से फसलें पैदा की जा रही है। रबी सीजन में गेहूं, चना, मटर और सब्जियां तथा खरीफ में सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, उड़द व कई तरह की सब्जियां हो रही है।
किसानों का कहना है कि जैविक तरीके से खेती करने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। फसलों के मित्र कीट भी सुरक्षित रहते हैं। वे अन्य कीट को खा जाते हैं, जबकि रसायन से खेती करने से पर्यावरण दूषित होता है। लोगों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी सामने आ रही है। यह रसायनयुक्त खेती का परिणाम है। कई किसान समूह बनाकर खेती कर रहे है। हर ब्लॉक में 5-5 समूह बनाए गए है। 20 हेक्टेयर पर एक समूह बनाया गया है। जिले में करीब 75 समूह बने हुए है।
जैविक खेती पर सरकार दें ध्यान
बिजौलिया निवासी जैविक किसान देवी लाल ने बताया की जिले में बड़ी संख्या में किसान जैविक खेती कर रहे है। कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केन्द्र में भी जैविक खेती पर नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। कई गंभीर बीमारियां कीटनाशक व यूरिया के फसलों में अधिक प्रयोग करने से हो रही है। हमें हमारी सेहत सुधारना है तो जैविक खेती अपनानी होगी।
चार दिन तक रहता रसायन का असर
बीगोद निवासी जैविक किसान गोपाल लाल ने बताया की रसायन का प्रयोग करने पर फसल व सब्जियों में उसका असर चार दिन तक रहता है। उसी अनाज व सब्जियों को अगर हम खाते हैं तो उसका असर हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। कई गंभीर बीमारियों का कारण यही है। इसी वजह से वह तीन बीघा में पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे।
जैविक खेती के ये है प्रमुख फायदे
जिले में कर रहे जैविक खेती
जिले में 1500 हेक्टेयर भूमि पर 1636 से अधिक किसान समूह में गोमूत्र व गोबर की खाद व कीटनाशक को काम में लेकर जैविक खेती कर रहे हैं। कुछ एकल किसान है जिन्होंने प्रमाणीकरण करवाकर जैविक खेती को अपनाया है।
- गोपाललाल कुमावत, उपनिदेशक, कृषि विभाग भीलवाड़ा