- इंटरनेट अपराधों से बचाव के लिए शिक्षा विभाग का बड़ा निर्णय - विद्यार्थी बनेंगे समाज में जागरूकता दूत
इंटरनेट की तेज़ रफ्तार पहुंच ने जहां लोगों की ज़िंदगी आसान बनाई है, वहीं साइबर अपराधों ने भी तेजी से पांव पसारे हैं। बैंक खातों से पैसों की चोरी, पहचान की ठगी, फर्जीवाड़ा और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे अपराध आम हो रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाते हुए निर्णय लिया है कि अब स्कूली पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा।
विद्यार्थी होंगे डिजिटल सुरक्षा के प्रहरी
शिक्षा विभाग का मानना है कि अगर विद्यार्थी कम उम्र से साइबर अपराधों की बारीकियों और उनसे बचाव के उपायों को समझेंगे तो वे स्वयं सुरक्षित रहेंगे और समाज के अन्य लोगों को भी जागरूक कर सकेंगे। विद्यार्थी घर जाकर अपने अभिभावकों को भी डिजिटल खतरों से सतर्क रहने की सलाह देंगे। अब केवल बच्चों को ही नहीं, बल्कि शिक्षकों को भी साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी दी जाएगी।
ग्रामीण से शहरी स्तर तक जागरूकता अभियान
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल कक्षा में पढ़ाई तक ही सीमित न रहकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। गांवों और कस्बों में विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे। विद्यालयों में कार्यशालाएं, साइबर सुरक्षा दिवस, निबंध व क्विज प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी। राजस्थान शिक्षा विभाग का यह कदम देशभर में एक मिसाल बन सकता है।
साइबर अपराध बने बड़ा खतरा
शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने सभी शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी करते हुए कहा कि साइबर अपराध आज समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रहे हैं। इससे बचाव केवल कानून से नहीं, बल्कि जागरूकता से संभव है। विद्यार्थी इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए पाठ्यक्रम और शिक्षक प्रशिक्षण दोनों में बदलाव किए जा रहे हैं।
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साइबर सुरक्षा के आसान उपाय