28 को सूर्य अर्घ्य के साथ समापन होगा
इस साल अक्टूबर का महीना तीज-त्योहारों से भरा हुआ है। करवा चौथ, दिवाली, भाई दूज और गोवर्धन पूजा के बाद अब सभी को छठ का बेसब्री से इंतजार है। छठ एक ऐसा महापर्व जिसमें पूरा पूर्वी भारत आस्था के साथ छठ मैया की पूजा और उपासना करता है। इस साल छठ की शुरुआत 25 अक्टूबरको नहाय खाय से शुरू होकर 28 अक्टूबर को सूर्य अर्घ्य के साथ खत्म होगी। पर्व इसकी तैयारी शुरू हो गई हैं। नहाए खाय 25 को, खरना पूजन 26 को, संध्या अर्घ्य 27 को, उषा अर्घ्य 28 अक्टूबर को होगा।
मैथिली सेवा संस्थान के अध्यक्ष संजय झा ने बताया कि छह पर्व की शुरुआत नहाए खाए के साथ होगी। इस साल नहाए खाए 25 अक्टूबर को है। इस दिन व्रती महिलाएं सुबह नहा धोकर भगवान की पूजा अर्चना करती हैं, इसके बाद कद्दू या घीया की सब्जी, चने की दाल और चावल का सेवन किया जाता है। खरना के दिन व्रती महिलाएं साफ बर्तन और चूल्हे का इस्तेमाल कर शाम के समय गुड़ की खीर बनाती हैं. खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। शाम के समय छठ मैया को गुड़ की खीर और रोटी का भोग लगाकर ग्रहण करती हैं। खरना में साफ-सफाई के साथ पवित्रता का भी ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा किसी भी ऐसे बर्तन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिसमें तामसिक आहार बना हो। छठ के दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन घाटों पर ढलते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ मां छठ की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन ठेकुआ, नारियल, फल, मिठाई और तमाम तरह की चीजों को डाला में रखकर छठ घाट तक पहुंचाया जाता है। उषा अर्घ्य के दिन सूरज निकलने से पहले ही छठ घाट पर लोग डाला लेकर सूर्य के निकलने का इंतजार करते हैं. जब सूर्य उदय होता है, तो व्रती महिलाएं उगते सूरज को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. छठ व्रत के दौरान महिलाएं 36 घंटे तक उपवास में रहती हैं. हिंदू धर्म में इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में भी गिना जाता है।
छठ पूजा की महिमा
छठ पूजा को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान श्रद्धालुओं को कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और रोग मुक्त जीवन के लिए किया जाता है। इस त्योहार के दौरान सूर्य की आराधना से हमें ऊर्जा और शक्ति मिलती है, जो जीवन में सकारात्मकता का संचार करती है।
छठ पूजा का प्रसाद
छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रयोग किया जाता है। ये सभी प्रसाद शुद्ध सामग्री से बनाए जाते हैं और सूर्य देवता को अर्पित किए जाते हैं।