राजस्थान भूगोल परिषद के 51वें अधिवेशन में 50 से अधिक शोधपत्र पेश विविध विषयों पर शोधार्थियों की भागीदारी, पर्यावरण व कृषि बदलाव पर रहा जोर
माणिक्यलाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय भीलवाड़ा में आयोजित राजस्थान भूगोल परिषद के 51वें राष्ट्रीय अधिवेशन का दूसरा दिन शोध कार्यों और अकादमिक विमर्श के नाम रहा। दूसरे दिन के विभिन्न तकनीकी सत्रों में देशभर से आए भूगोल विषयक विशेषज्ञों और शोधार्थियों ने 50 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए।
प्रथम तकनीकी सत्र में 7 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। सत्र की अध्यक्षता एमएलवी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संतोष आनंद ने की। सह-अध्यक्षता जेएनवी विश्वविद्यालय जोधपुर के डॉ.ललित सिंह झाला ने निभाई। सत्र का सारांश व विश्लेषण एचएन बहुगुणा विश्वविद्यालय के प्रो. बीएल तेली ने प्रस्तुत किया।
पेश किए प्रमुख शोधपत्र
- डॉ.ओमप्रकाश राजपुरोहित जोधपुर ने राजस्थान में ऊंटों की नस्लों की विविधता व घटती संख्या। डॉ. विकास कुमार जेएनयू, दिल्ली ने इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में कृषि बदलाव। डॉ. उमेद चौधरी (बाली) ने राजस्थान में पर्यावरण संरक्षण की परंपरा व पारिस्थितिकीय ह्रास। इसके अलावा डॉ. इंदु देवल, डॉ. गौरव कुमार जैन जोधपुर, डॉ. हंसा मीणा, स्मृति आचार्य जयपुर, डॉ. राजेंद्र मेघवाल बांसवाड़ा ने भी शोधपत्र प्रस्तुत किए।
युवा जियोग्राफर अवॉर्ड में 11 प्रतिभागियों की प्रस्तुति
दूसरे सत्र में युवा जियोग्राफर अवॉर्ड प्रतियोगिता हुई। इसमें कुल 11 युवा शोधार्थियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों में मनुराज पुरोहित, मोहनलाल प्रजापत, निमिषा दाधीच, प्रवीण यादव, दलबीर सिंह, विजय कुमार खटीक, डॉ. रमन सहारन, अक्षिता पाराशर, रियाजुर रहमान, उर्मि शर्मा और प्रगति पांडेय शामिल रहे। निर्णायक मंडल में राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रो. सरीना कालिया, डॉ. मोहनलाल शर्मा और डॉ. एमके जेतलिया रहे।
हाइब्रिड मोड में भी हुए शोध पत्र प्रस्तुत
तृतीय सत्र हाइब्रिड मोड में हुआ। ऑनलाइन के माध्यम से डॉ.कामना भटनागर उदयपुर, नीतू चौधरी हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद ने पेश किए। ऑफलाइन में डॉ. सुमित कच्छारा, हर्षवर्धन सिंह, विक्रम सिंह चुंडावत, आरती महेश्वरी, डॉ. सौरभ सिंह आदि ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस दौरान एमएलवी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. राजकुमार चतुर्वेदी, परिषद के महासचिव डॉ. श्यामसुंदर भट्ट, प्रदेशभर के प्राध्यापक एवं शोधार्थी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।