आरपीसीबी के नए सॉफ्टवेयर में खामियां, आवेदन और चालान अटके, हजारों केस लंबित
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल (आरपीसीबी) ने नए सॉफ्टवेयर एमआईएस 2.0 ने उद्योग जगत के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सॉफ्टवेयर में तकनीकी खामियों के चलते न तो आवेदन स्वीकार हो रहे हैं और न ही चालान तैयार हो पा रहे। इसका सीधा असर प्रदेश के हजारों उद्योगों पर पड़ा है, जिनकी फाइलें अब लंबित पड़ी हैं।
उद्यमियों का कहना है कि नए सॉफ्टवेयर में आवेदन करने के बाद चालान जनरेट हो भी जाए, तो वह क्षेत्रीय कार्यालय की प्रणाली में दिखाई नहीं देता। इस वजह से न तो भुगतान की स्थिति स्पष्ट होती है और न ही कंसेंट (सहमति) जारी हो पा रही है। पिछले एक माह से हजारों मामले लंबित पड़े हैं, जिससे उद्योग संचालन पर असर पड़ने लगा है।
उद्योगपतियों ने बताया कि कई इकाइयों की कंसेंट अवधि समाप्त होने को है। वे समय पर आवेदन कर चुके हैं, लेकिन आवेदन ‘शो’ नहीं होने से अब पेनल्टी लगने और खनन कार्यों के रवन्ने रुकने की आशंका बढ़ गई है। उद्योगों एवं माइनिंग सेक्टर में कंसेंट फीस लाखों रुपए में होती है, जो सिर्फ चालान के माध्यम से ही जमा की जा सकती है।
कंपनियों को यूपीआई से भुगतान में दिक्कत
बड़ी कंपनियों और सरकारी संस्थानों में यूपीआई से भुगतान संभव नहीं है, क्योंकि वहां भुगतान की जिम्मेदारी अधिकृत अधिकारियों की होती है, जिनके पास बैंक आईडी और पासवर्ड होते हैं। ऐसे में चालान आधारित भुगतान प्रणाली ही सुरक्षित और व्यावहारिक मानी जाती है। उद्यमियों का कहना है कि चालान पर यूनिट का नाम, पता और आईडी अंकित होने से पारदर्शिता और ट्रैकिंग दोनों बनी रहती है, ठीक वैसे ही जैसे बिजली या पानी के बिल पर पूरा विवरण होता है।
अतिरिक्त फीस का विकल्प नहीं
एमआईएस 2.0 में भुगतान सत्यापन की सुविधा नहीं होने से तकनीकी समस्या आने पर कई बार भुगतान फेल हो जाता है। इस स्थिति में अतिरिक्त फीस का बोझ उद्यमियों पर पड़ता है। साथ ही, अभी सॉफ्टवेयर में अतिरिक्त कंसेंट फीस जमा करने का ऑप्शन भी मौजूद नहीं है, जिससे और दिक्कतें बढ़ रही हैं।
दूसरे विभाग भी नहीं देख पा रहे आवेदन
खनिज विभाग, बैंक या अन्य संबंधित विभाग किसी भी आवेदन को सर्च नहीं कर पा रहे हैं। यहां तक कि क्षेत्रीय अधिकारी भी आवेदन नहीं देख पा रहे हैं, जिससे कार्यप्रवाह पूरी तरह प्रभावित हो गया है।
पुराना सॉफ्टवेयर बंद होने से बढ़ी दिक्कत
नए सॉफ्टवेयर के शुरू होते ही पुराने सिस्टम को बंद कर देना बड़ी गलती रही। इससे सभी प्रक्रियाएं अचानक रुक गईं। खनिज एवं वन संपदा विकास समिति भीलवाड़ा के प्रतिनिधियों ने कहा है कि जब तक नया सॉफ्टवेयर पूरी तरह कार्यशील नहीं हो जाता, पुराने सॉफ्टवेयर को समानांतर रूप से लागू रखना चाहिए।
आरपीसीबी अध्यक्ष को भेजा गया पत्र
समिति ने इस संबंध में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, जयपुर के अध्यक्ष रविकुमार सुरपुर को पत्र लिखकर समस्याओं से अवगत कराया है। समिति ने मांग की है कि उद्यमियों को राहत देने के लिए तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। नए सॉफ्टवेयर के पूरी तरह सुचारू होने तक पुराने सॉफ्टवेयर को भी सक्रिय रखा जाए, ताकि उद्योगों के कार्य ठप न हों।
सभी आवेदनों का निस्तारण कर रहे है
उद्यमियों को सम्मति जारी करने के लिए एमआईएस 2.0 लांच किया है। शुरुआती दौर में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा था, अब सभी आवेदनों का निस्तारण त्वरित गति से किया जा रहा है। फिर भी किसी को कोई समस्या है तो उसे मंडल स्तर पर दूर किया जाएगा।
दीपक धनेटवाल, क्षेत्रीय अधिकारी आरपीसीबी