शादी-ब्याह की खरीदारी से लेकर त्योहारों तक, हर मौके की पहली पसंद 60 साल पुराने बाजार की पहचान गेस्ट हाउस से भी
भीलवाड़ा शहर के मध्य स्थित नेताजी सुभाष मार्केट आज भी भीलवाड़ा की व्यापारिक धड़कन बनी हुई है। दशकों से यह मार्केट परंपरा और आधुनिकता का संगम है। यहां पारंपरिक दुकानों के साथ-साथ आधुनिक शोरूमों ने भी अपनी पहचान कायम की है।
नेताजी सुभाष मार्केट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शादी समारोह की खरीदारी के लिए शहर का सबसे उपयुक्त मार्केट माना जाता है। यहां साड़ियों के नामी शोरूम हैं तो साथ ही सोने-चांदी के बड़े प्रतिष्ठान भी हैं। इसके अलावा कपड़ा, जूते, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स, होटल, चाय, गेस्ट हाउस और खानपान तक की सभी सुविधाएं एक ही जगह उपलब्ध हैं।
हर त्योहार पर रहती है रौनक
त्योहारों के मौसम में नेताजी सुभाष मार्केट का नजारा किसी मेले से कम नहीं होता। दीपावली के दौरान रंग-बिरंगी लाइटें, सजावट और भीड़-भाड़ इस जगह को जीवंत बना देती है। सड़क चौड़ी होने और यातायात व्यवस्था सुधरने से यहां भीलवाड़ा जिले के साथ-साथ अन्य शहरों के ग्राहक भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
इतिहास से जुड़ी है पहचान
यह मार्केट गोल प्याऊ चौराहे से राजीव गांधी सर्कल तक फैला हुआ है। इसमें करीब 70 से अधिक दुकानें हैं। पहले यहां फोटोग्राफरों की पांच दुकाने थी, लेकिन सभी अपनी दुकान का पता अलग-अलग लिखते थे, लेकिन व्यापारियों ने एक मत होकर इस मार्केट का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस रख दिया। पहले यहां लोहे के पतड़े पर सुभाष प्रतिमा थी। बाद में लोहे की प्रतिमा स्थापित की। उसके बाद स्थाई रूप से मूर्ति लगाई गई। इसका लोकार्पण विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष देवेंद्रसिंह ने किया था। हर साल यहां के व्यापारी और स्थानीय नागरिक नेताजी की जयंती (23 जनवरी) और पुण्यतिथि (18 अगस्त) पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
हम पिछले 40 साल से यहां ज्वैलर्स की दुकान चला रहे हैं। नेताजी सुभाष मार्केट केवल व्यापार का स्थान नहीं, बल्कि भीलवाड़ा की सामाजिक धड़कन है। यहां हर त्योहार, हर आयोजन का अपना अलग माहौल होता है। शादी के लिए सोना व साडि़यां के शोरूम भी हैं।
नवरत्न मल संचेती, सर्राफा व्यापारी
यह मार्केट अब डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन डिलीवरी और सोशल मीडिया प्रमोशन के जरिए नई दिशा ले रहा है। पुराने ढर्रे के साथ नई सोच का मेल इस मार्केट को और भी खास बनाता है। इस मार्केट में ज्वैलर्स के लिए बड़े-बड़े शौरूम हैं।
प्रशांत सिंघवी, सर्राफा व्यापारी
व्यापारियों ने अलग-अलग एड्रेस लिखा रखे थे। इसके कारण लोगों को परेशानी होती थी। बाद में सभी ने एक राय होकर वर्ष 1980 के आस-पास इस मार्केट का नाम नेताजी सुभाष मार्केट रख दिया। तब से इस मार्केट का नाम नेताजी सुभाष मार्केट पड़ गया।
प्रेम प्रकाश शाह, संस्थापक अध्यक्ष रोकडिया गणेश मंदिर