- मिट्टी की जांच के बिना बुवाई कर रहे किसान - उर्वरकों के असंतुलित उपयोग से घट रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति - कृषि विभाग ने संतुलित उर्वरक उपयोग की दी सलाह
भीलवाड़ा जिले में रबी सीजन की बुवाई तेजी पकड़ चुकी है। अब तक सरसों की 70 प्रतिशत और चने की करीब 40 प्रतिशत बुवाई पूरी हो चुकी है। हालांकि गेहूं की बुवाई अभी शुरुआती चरण में है और अब तक महज एक हजार हैक्टेयर में ही की जा सकी है। इसके पीछे मुख्य कारण बीज का नहीं होना है। कृषि विभाग ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से सभी उर्वरक एवं पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन किसान मिट्टी की जांच कराए बिना ही बुवाई कर रहे हैं। इससे उर्वरकों का असंतुलित उपयोग बढ़ता जा रहा है।
सरसों-चना में रफ्तार, गेहूं में सुस्ती
कृषि विभाग के अनुसार जिले में सरसों की बुवाई का लक्ष्य 50 हजार हैक्टेयर रखा गया है, जिसके मुकाबले अब तक 35 हजार हैक्टेयर से अधिक में बुवाई पूरी हो चुकी है। चना का लक्ष्य 1 लाख हैक्टेयर तय किया गया है, जिसमें से 41 हजार हैक्टेयर में बीज डाल दिया गया है। वहीं गेहूं की बुवाई का लक्ष्य 1.75 लाख हैक्टेयर है, लेकिन अब तक सिर्फ एक हजार हैक्टेयर में ही बुवाई हुई है।
सभी प्रकार के उर्वरक पर्याप्त
संयुक्त निदेशक (कृषि विस्तार) वी.के. जैन ने बताया कि रबी सीजन के लिए जिले में डीएपी, यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट, मूरेट ऑफ पोटाश, जिंक सल्फेट, एनपीके, ट्रिपल सुपर फास्फेट, सल्फर और कैन जैसे सभी उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की जानकारी के अभाव में डीएपी या यूरिया का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है, जबकि अन्य उर्वरकों की खपत कम है। इससे कुछ समय बाद डीएपी की कृत्रिम कमी जैसी स्थिति दिखती है, जबकि वास्तव में जिले में सभी उर्वरक मौजूद रहते हैं।
कृषि विभाग की सलाह, मिट्टी की जांच अनिवार्य करावें
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही उर्वरक का चयन करें।
विभाग ने कहा कि किसान डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट, जिंक सल्फेट, सल्फर, ट्रिपल सुपर फास्फेट और मूरेट ऑफ पोटाश जैसे संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें। इससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी।
घट रही है मिट्टी की उर्वरा शक्ति
विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार एक ही प्रकार के उर्वरक, खासकर डीएपी और यूरिया के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी में जैविक कार्बन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा घट रही है। वर्तमान में जिले की मिट्टी में जिंक, आयरन, पोटाश और सल्फर की कमी, जबकि फास्फोरस और नाइट्रोजन की अधिकता पाई जा रही है। यह स्थिति लंबे समय में मिट्टी की गुणवत्ता और फसल उत्पादकता दोनों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।
सरकार कर रही नियमित उर्वरक आपूर्ति
राज्य सरकार की ओर से फसल क्षेत्रफल के अनुसार उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। विभाग ने किसानों को आश्वस्त किया है कि किसी भी उर्वरक की कमी से चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।संतुलित खाद उपयोग और मिट्टी परीक्षण को अपनाकर किसान अपनी उपज और जमीन दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं।