कैप्टिव पाॅवर प्लांट की क्षमता 200 फीसदी करने की घोषणा एक मेगावाट बिजली स्टोरेज बैटरी पर 2 करोड़ व्यय होंगे
कैप्टिव पाॅवर प्लांट लगाने वाली औद्योगिक इकाइयों को राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने बड़ी राहत तो दी है, लेकिन शर्तों में उलझा भी दिया है। आयोग ने उद्योगों को विद्युत लोड क्षमता से 200 प्रतिशत तक का सोलर पैनल लगाने की अनुमति दी है। इसके लिए शर्त लागू की हैं कि वे 20 फीसदी बिजली बैटरी में स्टोर करेंगे। उसका उपयोग पीक आवर्स में होगा, जब बिजली की मांग ज्यादा होती है। इस शर्त की पालना करने से उद्योगों को एक मेगावाट बिजली भंडारण बैटरी लगाने पर 2 करोड़ व्यय होंगे। पीक आवर्स के दौरान बैटरी से 2-4 घंटे बिजली की आपूर्ति ही संभव हो सकेगी।
टेक्सटाइल उद्योगों में सोलर आधारित कैप्टिव पावर प्लांट लगे हैं वह बिजली स्वयं के उपयोग में ले रहे हैं। लोड क्षमता 200 प्रतिशत करने से टेक्सटाइल उद्योगों को फायदा तो होगा, लेकिन बैटरी में बिजली स्टोर करने की शर्त बड़ी बाधा बन सकती है। हालांकि इस बैटरी से औद्योगिक इकाइयों को सस्ती बिजली मिलेगी। प्रदेश में 800 मेगावाट क्षमता के कैप्टिव पावर प्लांट लगे हैं। इसमें सबसे ज्यादा भीलवाड़ा, जैसलमेर, बाडमेर व बांसवाड़ा में लगे हैं।
पहले यह था
अब तक उपभोक्ता अपनी विद्युत लोड क्षमता तक ही सोलर पैनल लगा सकते थे। जैसे किसी उद्योग में लोड 100 किलोवाट है तो वह 100 किलोवाट तक ही सोलर पैनल लगा सकता था। लेकिन अब आयोग के आदेश के बाद वह 200 किलोवाट तक सोलर पैनल लगा सकेगा।
सरकार ने की थी घोषणा
राज्य सरकार ने बजट भाषण में इसकी क्षमता 200 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। उसके तहत ही राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने ही तय क्षमता से दुगना सोलर पैनल लगाने की अनुमति दी है। आयोग ने उपभोक्ताओं को व्हीलिंग और ट्रांसमिशन चार्ज में भी राहत दी है। अभी इनसे 1.25 से 2 रुपए प्रति यूनिट तक चार्ज लिया जाता था। अब इसमें 75 से 100 फीसदी तक छूट मिलेगी। यह शुल्क ट्रांसमिशन लाइनों का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं से लिया जाता है।
टेक्सटाइल उद्योगों को होगा फायदा
विनियामक आयोग ने अपनी क्षमता से दोगुना सोलर प्लांट लगाने की सहमति दी है। यह टेक्सटाइल सेक्टर के लिए अच्छा कदम है, लेकिन 20 प्रतिशत बिजली को स्टोर करने के लिए बैटरी लगाने की शर्त लागू करने से उद्योगों को उलझा दिया है।
आरके जैन, महासचिव मेवाड़ चैम्बर ऑफ कामर्स