- चंद्रग्रहण से प्रारंभ सूर्य ग्रहण के साथ समाप्त होंगे श्राद्ध पक्ष
पितृपक्ष की शुरुआत रविवार 7 सितंबर को चंद्रग्रहण के साथ होगी। समापान 21 सितंबर को पितृ अमावस व सूर्यग्रहण के साथ होंगे। पितृ पक्ष में पूर्वजों का निमित्त पिंडदान तर्पण और श्रद्धा कर्म किया जाता है। श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों की पूजा से पूरे परिवार पर पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है। श्राद्ध के समय यदि कोई घर आता है तो उसे अपना मान खाना खिलाया जाता है। इस तरह पक्षियों को भी स्नेह वह प्रेम से खाना खिलाना चाहिए। माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष के चलते पितृ अपने परिजनों से मिलने किसी भी रूप में आते हैं। यदि आप इन्हें भोजन करवाते हैं और ये भोजन ग्रहण करते हैं तो यह फलदायी होता है।
श्राद्ध के दौरान बहुत सी भ्रांतियां
पंडित अशोक व्यास ने बताया कि कई लोगों का ऐसा मानना है कि श्रद्धा के चलते कोई भी शुभ कार्य और नई खरीदारी नहीं की जाती, लेकिन यह सब भ्रांतियां हैं। श्राद्ध पक्ष में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य हो या खरीदारी कोई पर विराम नहीं होता। साथ ही इस पक्ष में खरीदारी करने से धन संपदा से जीवन आगे बढ़ता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पितरों की निमित्त श्राद्ध कर्म आदि करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
122 साल बाद दुर्लभ संयोग
श्राद्ध इस बार दुर्लभ संयोग बन रहा है। चंद्रग्रहण के साथ प्रारंभ होकर 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के साथ समाप्त होंगे। सूर्य ग्रहण का असर भारत में नहीं होगा। ऐसा दुर्लभ संयोग 122 साल बाद देखने को मिल रहा है। श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के बाद 22 सितंबर से नवरात्र प्रारम्भ हो जाएंगे।
सूतक से पहले श्राद्ध निकाले
व्यास ने बताया कि 7 सितंबर को ग्रहण के साथ श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो रहा है, इसलिए सूतक लगने से पहले इस दिन का श्राद्ध निकाला जाएगा। चंद्र ग्रहण रात 9.57 बजे प्रारंभ होकर रात 1.26 बजे तक चलेगा। उपछाया प्रवेश रात 8.57 पर होगा। ग्रहण का सूतक काल नौ घंटे पहले प्रारंभ हो जाता है। इसलिए सूतक काल दोपहर 12.50 बजे से आरंभ होगा, जो ग्रहण की समाप्ति तक प्रभावी रहेगा। सूतक के दौरान मंदिरों के पट बंद रहेंगे। ग्रहण की समाप्ति पर शुद्धि की जाएगी। ग्रहण के बाद दान का विशेष महत्व माना गया है।