बीते दो साल छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए गए
कॉलेज में एकेडेमिक केलेंडर का इंतजार है। इसके अनुरूप परीक्षाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद सहित अन्य गतिविधियां होंगी। युवाओं की निगाहें खासतौर पर छात्रसंघ चुनाव पर टिकी हैं। सालभर चलने वाली गतिविधियों के लिहाज से एकेडेमिक केलेंडर बहुत अहम है। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, शैक्षिक अवकाश, परीक्षाएं और अन्य कार्यक्रम होते हैं। छात्रसंघ चुनावों का कार्यक्रम भी शामिल किया जाता है। हालांकि छात्रसंघ चुनाव कराना सरकार पर निर्भर होता है। बीते दो साल छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए गए। इससे छात्र संगठन विरोध भी कर रहे है। कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने सत्र 2025-26 की प्रवेश पॉलिसी जारी की है जबकि एकेडेमिक केलेंडर जारी होना शेष है। केलेंडर आने के बाद ही छात्रसंघ चुनाव के मामले में स्थिति साफ होगी। फिलहाल यूजी-पीजी कॉलेज में प्रथम वर्ष के अलावा पीजी कोर्स में दाखिले जारी हैं। जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक प्रवेश और नवीनीकरण का काम चलेगा।
चुनाव में होते है लाखों रुपए खर्च
लिंगदोह समिति के अनुसार छात्रसंघ चुनाव में प्रत्याशी का चुनावी खर्च सीमा पांच हजार तय है। इसके बावजूद छात्र संगठन और प्रत्याशी जमकर खर्चे करते हैं। महंगी गाड़ियों के साथ चुनाव प्रचार होता है। हालांकि ज्यादातर छात्रों और छात्र संगठनों का मानना है कि पांच हजार की खर्च सीमा व्यावहारिक नहीं है। कॉलेज व यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव में बैलेट पत्र छपवाए जाते है। इनमें हजारों रुपए खर्च होते हैं। इनकी गिनती में भी काफी समय लगता है। ईवीएम से छात्रसंघ चुनाव को लेकर केंद्र और राज्य सरकार गंभीर नहीं है।