- पूर्णिमा को श्राद्ध की धूप सूतक काल से 12.50 से पहले लगेगी
इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरुआत खास खगोलीय घटनाओं के साथ होने जा रही है। 7 सितंबर को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और उत्तरी-दक्षिणी अमरीका के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह दृष्टिगोचर होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य रहेगा। पहला चन्द्रग्रहण 13 और 14 मार्च की मध्य रात्रि को लगा था।
पंडित अशोक व्यास ने 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण रात 9.57 बजे प्रारंभ होकर रात 1.26 बजे तक चलेगा। उपच्छाया प्रवेश रात्रि 8.57 पर होगा। इसका सूतक काल दोपहर 12.50 बजे से आरंभ हो जाएगा, जो ग्रहण की समाप्ति तक प्रभावी रहेगा। सूतक काल में पूजा-पाठ व शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इसलिए पूर्णिमा को श्राद्ध को धूप लगाने वाले सूतक काल आरंभ होने के पहले लगाएंगे। चंद्र ग्रहण के बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो न्यूजीलैंड, पैसिफिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा। भारत में यह दृष्टिगोचर नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं रहेगा।
व्यास ने बताया कि श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा और इसी दिन पितृ पक्ष का आरंभ भी हो जाएगा। पितृ पक्ष 21 सितंबर तक चलेगा। चंद्र ग्रहण के कारण श्राद्ध और ग्रहण का संयोग एक साथ होने से इसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रहेगा।
ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व
यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा। राहु-केतु और सूर्य-बुध की युति से यह ग्रहण विशेष योग बना रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जातकों को सावधानी बरतनी चाहिए। चंद्र ग्रहण न केवल भारत में बल्कि एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा।
चंद्र ग्रहण और सूतक काल में क्या न करें
सूतक काल और चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस समय पूजा-पाठ, हवन या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से परहेज करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर न निकलने, नुकीले औजारों के प्रयोग और भोजन बनाने से बचने की सलाह दी जाती है।