- सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाने की घोषणा बनी कागजों तक सीमित - गहलोत सरकार की बजट घोषणा के तीन साल बीतने के बाद भी ई-रूपी योजना लागू नहीं हो सकी
राज्य सरकार की नॉन कैश बेनिफिट योजनाओं में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से घोषित ई-रूपी योजना अब भी धरातल पर नहीं उतर सकी है। साइकिल, स्कूटी व कृषि उपकरण सहित विभिन्न विभागों की योजनाओं में भ्रष्टाचार रोकने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2022-23 के बजट में इसकी घोषणा की थी। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी योजना लागू नहीं हो पाई। पहले इसे एक साल के लिए स्थगित किया गया और फिर सरकार बदलते ही यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। नतीजतन, सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाने और अनियमितताओं पर अंकुश लगाने का सपना अब भी अधर में है।
क्या है ई-रूपी योजना
ई-रूपी योजना के तहत सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को मोबाइल पर ओटीपी आधारित वाउचर जारी किया जाना था। यह वाउचर जन आधार ई-वॉलेट में मिलता और लाभार्थी इसे दिखाकर अधिकृत दुकानदार से उपकरण या मशीन प्राप्त कर सकता था। संबंधित राशि सीधे दुकानदार के बैंक खाते में सरकारी पोर्टल के माध्यम से ट्रांसफर होनी थी। इससे न केवल लाभार्थियों को सुविधा मिलती बल्कि योजनाओं में कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार पर भी रोक लगती।
ई-रूपी के प्रमुख लाभ
कोरोना काल में हुआ था ई-रूपी लॉन्च
ई-रूपी को 2 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड टीकाकरण में कैशलेस भुगतान सुविधा के रूप में लॉन्च किया था। इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने वित्तीय सेवा विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से विकसित किया था। बाद में इसे अन्य सरकारी योजनाओं में भी अपनाया गया।
सुझावों के बावजूद नहीं हुई शुरुआत
राज्य में भी इस व्यवस्था को लागू करने के लिए विभिन्न संगठनों ने सरकार को कई बार सुझाव दिए थे। राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के प्रदेश अध्यक्ष नीरज शर्मा ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन सरकार को पत्राचार कर ई-रूपी व्यवस्था को लागू करने की मांग की थी ताकि योजनाओं को सरल और पारदर्शी बनाया जा सके, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अब भी लागू की जा सकती है व्यवस्था
वर्तमान सरकार चाहे तो इस व्यवस्था को लागू कर राज्य की सभी नॉन कैश बेनिफिट योजनाओं को ई-रूपी प्लेटफॉर्म से जोड़ सकती है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ समय पर और सुरक्षित मिल सकेगा।