निजी काम कराने के लिए लगाए स्थायी सफाई कर्मचारी ठेके पर सफाई होने से राजस्व का हो रहा नुकसान
भिवाड़ी. सफाई के लिए सरकार ने स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की लेकिन सरकार की योजना का जिम्मेदार अधिकारी मजाक उड़ा रहे हैं। अधिकारियों ने जरूरत अनुसार सफाई कर्मचारियों को अपने कार्यालय में तैनात कर लिया है। उनके बेवजह निजी काम कराए जा रहे हैं। जबकि नियमानुसार सफाई कर्मचारी सिर्फ स्वच्छता संबंधी काम ही कर सकते हैं। उच्चाधिकारियों के इस व्यवहार से सरकार को दोहरा नुकसान हो रहा है। एक तरफ सफाई कर्मचारियों का मूल काम नहीं हो रहा। दूसरी तरफ नगर परिषद को ठेके उठाकर भारी भरकम बजट खर्च करना पड़ रहा है। इसके साथ ही जो सफाई कर्मचारी फील्ड में रहकर सफाई संबंधी काम करते हैं, उनमें भी असंतोष रहता है। कुछ कर्मचारियों को मैदान में रहकर कठिन काम करना पड़ता है जबकि कुछ कर्मचारी कार्यालय में रहकर आराम की नौकरी करते हैं। बीते कुछ समय में जिला स्तरीय अधिकारियों ने नगर परिषद के साथ मिलकर सफाई का संदेश देने के लिए झाडू उठाया। सडक़ पर झाडू लगाकर स्वच्छता का संदेश दिया। ये संदेश सिर्फ दिखावा बनकर रह गया क्योंकि उन्होंने उन कर्मचारियों को अपने कार्यालय में बांध रखा है जिनके हाथों में सफाई का काम होना चाहिए। नगर परिषद में वर्तमान में करीब 70 स्थायी सफाई कर्मचारी हैं जिसमें से 15 सफाई कर्मचारी बीडा, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और डीएलबी में लगे हुए हैं। 55 स्थायी कर्मचारी फील्ड में काम करते हैं। स्थायी कर्मचारियों को कार्यालय में लगाने से सरकार को दोतरफा नुकसान उठाना पड़ता है। एक तरफ स्थायी सफाइ कर्मचारियों को वेतन देना पड़ता है, दूसरी तरफ शहर में सफाई व्यवस्था के लिए ठेके पर कर्मचारी लगाने पड़ते हैं। नगर परिषद में जुलाई 2018 में 192 सफाई कर्मचारियों ने कार्यभार संभाला था। जुलाई 2020 में दो साल का परवीक्षा काल पूरा होते ही सफाई कर्मचारियों ने यहां से ट्रांसफर और डेपुटेशन पर जाना शुरू कर दिया। अभी फिलहाल 70 कर्मचारी नगर परिषद में कार्यरत हैं लेकिन सफाई कर्मचारियों की कमी की वजह से शहर की सफाई व्यवस्था को ठेके पर उठाना पड़ रहा है। परवीक्षा काल में भी कर्मचारियों के यहां डटे रहने की वजह सरकार का आदेश था। आदेश के अनुसार 2018 की सफाई कर्मचारियों के स्थानांतरण पर रोक लगी हुई थी। नगर परिषद में नियुक्त हुए सफाई कर्मचारियों में से 85 प्रतिशत कर्मचारी दूरस्थ जिलों के थे, सिर्फ 15 प्रतिशत ही आसपास के हैं, जो कि अभी बचे हैं। नगर परिषद द्वारा 75 अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन पर प्रति महीने 45 लाख रुपए, नगर परिषद कार्यालय, एसटीपी के बिजली बिल पर 25 लाख रुपए महीना, सफाई पर 80 लाख रुपए महीना व्यय किया जाता है। इस तरह नगर परिषद के स्थायी खर्च ही 16 से 17 करोड़ रुपए प्रति वर्ष है। सफाई पर स्थायी कर्मचारियों को वेतन देने के साथ ही टेंडर करने पड़ते हैं। इसकी वजह से सफाई पर अधिक राशि खर्च हो जाती है।
स्थायी कर्मचारियों को उनका मूल काम ही करना होगा। अन्य कार्यालय में जो सफाई कर्मचारी लगे हैं, उन्हें बुलाने के लिए पूर्व में भी पत्र लिखा था। उक्त प्रकरण से मुख्यालय को अवगत कराया जाएगा।
मुकेश चौधरी, आयुक्त, नगर परिषद