गत कई वर्षों से चल रहा विरोधाभासी नियम, जितनी अवधि में काम रोके उसकी नहीं देती छूट
भिवाड़ी. ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के दौरान एनसीआर में निर्माण कार्य रुक जाते हैं। दो से तीन महीने तक निर्माण कार्य पर ग्रेप की पाबंदी लागू होती हैं। इस दौरान निर्माण करने पर जुर्माना लगता है। प्रदूषण को फैलने से रोकने के लिए निर्माण रोके जाते हैं लेकिन रीको उद्योग क्षेत्र में आवंटियों को इसका दोहरा नुकसान झेलना पड़ता है। एक तरफ उनकी निर्माण गतिविधि रुक जाती है, दूसरी तरफ उन्हें रीको को जुर्माना भी देना पड़ता है। रीको जिस अवधि में निर्माण रुकवाती है, उस अवधि की भी रियायत नहीं देती। ग्रेप की पाबंदी गत कई वर्षों से क्षेत्र में लागू होती हैं लेकिन रीको ने अपने इस विरोधाभासी नियम को अभी तक नहीं बदला है। इस तरह उद्यमियों को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।
ग्रेप के दौरान रीको क्षेत्र में आवंटियों को भूखंड पर निर्माण कार्य करने से रोक होती है। रीको के नियमानुसार दो से तीन साल में भूखंड आवंटन के बाद निर्माण पूरा करना होता है और उत्पादन शुरू करना होता है। तय अवधि में निर्माण पूरा करने के बाद उत्पादन शुरू नहीं होने पर रीको जुर्माना लगाती है। जो कि प्रत्येक तिमाही के आधार पर तय होता है।
रीको ग्रेप की अवधि के दौरान निर्माण कार्य को रुकवाती है, इसकी छूट जुर्माना वसूलते समय नहीं देती। रीको ने गत दिनों सर्किल रेट भी बढ़ाई है और जुर्माना राशि भी बढ़ाई है। जिसकी वजह से निर्माण में देरी और उत्पादन शुरू नहीं होने पर भारी भरकम जुर्माना राशि बन रही है। अगर किसी एक हजार मीटर के भूखंड पर तीन साल की अवधि पूरी होने के बाद भी निर्माण और उत्पादन शुरू नहीं होता है तो उस पर सर्किल रेट का चार प्रतिशत प्रति वर्ष जुर्माना लगता है। इस तरह एक वर्ष देरी से उत्पादन की रिपोर्ट देने पर ही करीब पांच लाख रुपए का हर्जाना देना पड़ेगा। जबकि दो से तीन साल में रीको ने ग्रेप के दौरान जिन महीनों में काम रोका, उसकी कमी जुर्माना लेते समय नहीं की। उत्पादन शुरू करने की रिपोर्ट रीको में देना अनिवार्य होता है, इसके बिना रीको भूखंड आवंटन निरस्त कर देती है।