ऐसे कैसे आकर्षित होंगे निवेशक, जो आए वह भी पछताएंगे
भिवाड़ी. खुशखेड़ा, सलारपुर, कारोली रीको का नया उभरता हुआ औद्योगिक क्षेत्र है। गत दो तीन वर्ष में बड़ी संख्या में निवेशक आए हैं लेकिन रीको की लाचार व्यवस्था से निवेशकों को हताशा हो रही है। क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र में उपले वाली सडक़ हैं और मुख्य सडक़ और पार्क में कचरे के ढेर लगे हैं। सडक़ और पार्क में कचरे को देखने पर ऐसा लगता है कि जैसे ये हरियाली और आवागमन का रास्ता न होकर गंदगी पटकने के लिए रीको की ओर से चिन्हित स्थल है। पत्रिका ने औद्योगिक क्षेत्र की पड़ताल की जिसमें भयावह स्थिति देखने को मिली। कचरे के रखरखाव को लेकर कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं होने और रीको अधिकारियों की लापरवाही से उद्योग क्षेत्र में कहीं भी कचरे के पहाड़ देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही दिनभर इन कचरे के पहाड़ में आग जलती रहती हैं, जिससे विषैला धुंआ उठता रहता है। रीको ने यहां जिम्मेदार अधिकारियों को औद्योगिक क्षेत्र की व्यवस्था संभालने के लिए लगाया है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी औद्योगिक क्षेत्र की निगरानी नहीं करते। औद्योगिक क्षेत्र में भ्रमण नहीं करते। किन इकाइयों से कचरा निकल रहा है। सडक़ों पर लगे कचरे के ढेर कहां से आए हैं, इसके बारे में औचक निरीक्षण और छापेमारी नहीं करते। गे्रप चार की पाबंदी में प्रशासन ने सभी विभागों के अधिकारियों के क्षेत्र में निकाला, इसके बावजूद रीको द्वितीय यूनिट ने औद्योगिक क्षेत्र में आने वाले कचरे को लेकर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला। औद्योगिक क्षेत्र में जो भी सुनसान सडक़ और खाली भूखंड दिखता है, उसमें डंपिंग यार्ड बन जाता है। गत कुछ वर्ष में सलारपुर, कारोली, खुशखेड़ा में अरबों रुपए का निवेश आया है। कई नामचीन कंपनियों ने यहां उत्पादन के लिए प्लांट स्थापित किए हैं। नए निवेशक भी आ रहे हैं लेकिन निवेशकों को यहां आकर कई बार पछताना पड़ता है। इसकी वजह से नामचीन कंपनियों में विदेश से आने वाली ऑडिट टीम। ऑडिट को आने वाली टीम कंपनी के अंदर माहौल के साथ बाहर के वातावरण को भी देखती हैं। औद्योगिक क्षेत्र का माहौल दूषित होने पर नकारात्मक रेंटिंग देती हैं। ऑर्डर भी नहीं देती। पुराने ऑर्डर निरस्त करने का भी खतरा रहता है। बड़ी कंपनियां परिसर के अंदर माहौल को अच्छा बनाती है लेकिन बाहर की जिम्मेदारी रीको की होती है। कई बार बड़ी कंपनियां रीको अधिकारियों से ऑडिट टीम के आने से पहले सडक़ पर सफाई, पौधारोपण के लिए गुहार लगाते हैं। रीको के नहीं करने पर स्वयं भी जिम्मेदारी उठाते हैं, जिससे उन्हें निराशा होती है। रीको यूनिट द्वितीय इकाई प्रभारी अखिल अग्रवाल से उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।